मुस्लिम गुरु की पढ़ाई बेटी को राष्ट्रपति से मिले दो गोल्ड मेडल, BHU में मुस्लिम संस्कृत टीचर पर हुआ था विवाद
शिखा द्विवेदी ने संस्कृत में टॉप किया और राष्ट्रपति की तरफ से गोल्ड मेडल भी मिले. लेकिन सबसे ख़ास बात ये है, शिखा को संस्कृत पढ़ाने वाले उनके गुरू एक मुस्लिम है जिसका नाम फुरसत अली हैं
वाराणसी में मौजूद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्म कला विज्ञान संकाय में फिरोज नामक एक संस्कृत अध्यापक के चयन होने के बाद छात्रों की तरफ से काफी हंगामा किया गया था. उस उस दौरान स्टूडेंट्स ने कहा था, कि एक गैर हिन्दू अध्यापक भला संस्कृत की शिक्षा क्या देगा. यह मामला साल 2019 काफी चर्चित भी हुआ था. वहीं बनारस से अलग होकर जिला बने भदोही में एक मुस्लिम शिक्षक ने ही शिखा द्विवेदी को संस्कृत का विद्वान बना दिया. संस्कृत में टॉपर शिखा को बीते दिनों वाराणसी में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने अपने हाथों दो गोल्ड मेडल दिए.
कौन है शिखा द्विवेदी
शिखा द्विवेदी भदोही जिले के मकनपुर मोढ़ गांव के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामश्रृंगार द्विवदी की पौत्री और युवा पत्रकार कृष्णकुमार द्विवेदी के पांच बच्चों में शिखा तीसरी संतान है. उसकी प्राथमिक स्तर की शिक्षा मोढ़ में मौजूद सूर्या बालिका इण्टर कालेज में हुई थी. इस समय शिखा सुरियावां स्तिथ घनशयाम दूबे महाविद्यालय से बीएड कर रही हैं. बीए प्रथम, द्वितीय और तृतीय में भी उसने कालेज में टॉप किया था. कालेज में शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही उसने मोढ़ निवासी संस्कृत के अध्यापक फुरसत अली के मार्गदर्शन में संस्कृत की शिक्षा पाकर गोल्डमेडल की हकदार बनी हैं. उसकी इच्छा सिविल सर्विस में जाकर देश करने की है. शिखा का भाई विभव ग्वालियर से बी फार्मा कर रहा है. उसकी दो बहने प्राची और मुस्कान भी अपने कालेज की टॉपर रही हैं. सबसे बड़ी बहन आकांक्षा की विवाह हो चुका है.
कौन हैं फुरसत अली जिसने शिखा को बनाया संस्कृत का विद्वान
जिले के मोढ़ बाजार के बीचोंबीच होकर जब कोई गुजरता है तो पक्के मकानों के बीच मिट्टी की दीवारों पर खपरैल रखकर बनाया गया एक जर्जर मकान बरबस ही लोगो की निगाह अपनी ओर खींच लेता है. पक्की इमारतों के बीच यह मकान कोट में पैबंद की तरह नजर आता है. लोगों के मन में बरबस ही यह सवाल उठ जाता है कि जब बाजारों में लोग बहुमजिली सुख सुविधा युक्त बहुमंजिली इमारतें बनवा रहे हैं तो मुफलिसी में जीने वाला यह शख्स कौन है. इसी घर में रहता है शिखा को संस्कृत का विद्वान बनाने वाला फुरसत अली कहते हैं. जहां सरस्वती वास करती हैं वहां लक्ष्मी नहीं आती और यहीं कहावत सटीक बैठ रही है.
संस्कृत विद्वान फुरसत अली का जीवन परिचय
फुरसत अली की संस्कृत में गहरी आस्था है। उसने घनश्याम दूबे महाविद्यालय सुरियावां से बीए बीएड किया है. भदोही शहर स्तिथ काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से संस्कृत में एमए प्रथम श्रेणी में पास किया है। वर्तमान में प्रयागराज जिले के हंडिया पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से एमएड कर रहे हैं. शिक्षा ग्रहण करने के साथ फुरसत अली छात्र छात्राओं को संस्कृत पढ़ते हैं. और उससे उनका जीवन चलता है. उसी से वह अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं। नौकरी के लिये भी उसका संघर्ष जारी है लेकिन कभी कभी उसके मन में समाज के व्यवहार से निराशा भी उत्पन्न हो जाती है. फिर भी मंजिल मिलने तक संघर्ष जारी रखने की कामना रखता है.
गोल्ड मेडलिस्ट शिखा मिल रही बधाई
राष्ट्रपति से गोल्डमेडल मिलने के बाद उसके घर पहुंच कर बधाई देने वालों और सम्मान करने वालों का तांता भी लगा हुआ है। घनश्याम दूबे महाविद्यालय में उसके सम्मान में कार्यक्रम रखकर उसे सम्मानित किया गया. पत्रकारों ने भी उसके घर पहुंचकर पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया. राष्ट्रपति द्वारा गोल्डमेडल मिलने की सूचना पर जयदीप हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. वीके दूबे सहित पत्रकार हरीश सिंह, समाजसेवी राजकुमार पाण्डेय, के के श्रीवास्तव आदि लोग घर पहुंचे और अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और सुखद जीवन के लिये आशीर्वाद दिया.