Same Sex Marriage: केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि उसे समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सात राज्यों से जवाब मिला है. उसके मुताबिक राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम की सरकारों ने ऐसी शादी को कानूनी मान्यता देने को लेकर याचिकाकर्ताओं की दलीलों का विरोध किया है. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि मणिपुर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों ने कहा है कि इस मुद्दे पर ‘बहुत व्यापक और विस्तृत बहस’ की जरूरत है. वे तत्काल इस मामले में कोई जवाब दे पाने में सक्षम नहीं होंगे. 


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राज्यों से मांगे गए जवाब


केंद्र सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा था कि उसने 18 अप्रैल को सभी राज्यों को पत्र लिखा था और संबंधित याचिकाओं में उठाये गये ‘बुनियादी मुद्दे’ पर उनके विचार आमंत्रित किये थे. मेहता ने संविधान पीठ के समक्ष कहा, ‘‘मैंने पहले कहा था कि हमने राज्य सरकारों को पत्र लिखे हैं. सात राज्यों- मणिपुर, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम और राजस्थान से अभी तक उत्तर प्राप्त हुए हैं, लेकिन मैं उसे पढ़ नहीं रहा हूं. मैं इसे रिकॉर्ड पर ला रहा हूं’’ 


संवेदनशील है मामला


संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस. आर. भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा शामिल हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘राजस्थान का कहना है कि हमने इसकी पड़ताल की है और हम याचिकाकर्ताओं की मांग के विरुद्ध हैं.’’ उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इस मामले को बहुत ही संवेदनशील करार दिया है. वे तत्काल इसका जवाब देने में सक्षम नहीं हैं.’’ 


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ये राज्य हैं खिलाफ


पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर आज नौंवे दिन सुनवाई कर रही थी. दलीलें पूरी नहीं हो सकी हैं और बृहस्पतिवार को भी जारी रहेंगी. मणिपुर ने इस मुद्दे पर जहां व्यापक चर्चा की आवश्यकता जताई है, वहीं आंध्र प्रदेश सरकार के विशेष मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य सरकार समलैंगिक शादी के खिलाफ है. उत्तर प्रदेश ने कहा है कि यह मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है और इसके किसी भी फैसले का समाज के विभिन्न समुदायों पर गहरा असर पड़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में उत्तर के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता जताई है. महाराष्ट्र सरकार की राय लगभग यही है.


असम ने कहा व्याख्या की जानी चाहिए


असम सरकार ने कहा है कि इस मामले की नये सिरे से व्याख्या की आवश्यकता है. सिक्किम सरकार ने कहा है कि वह समलैंगिक विवाह के प्रभावों के गहराई से आकलन करने के लिए एक समिति गठित करने पर विचार कर रही है.


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