Rajiv Gandhi 80th Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज यानी 20 अगस्त को 80वीं बर्थ एनिवर्सरी मनाई जा रही है. इस मौके पर लोकसभा प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी, कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने ख़िराज-ए-'अक़ीदत पेश की. लोकसभा के प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने पिता की समाधि वीर भूमि पर उन्हें ख़िराज-ए-'अक़ीदत पेश की और एक्स पर लिखा, "एक दयालु व्यक्तित्व, सद्भाव और सद्भावना के प्रतीक... पापा, आपकी शिक्षाएं मेरी प्रेरणा हैं और भारत के लिए आपके सपने मेरे अपने हैं, मैं आपकी यादों को अपने साथ लेकर उन्हें पूरा करूंगा." 


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राजीव गांधी के 8 कामों ने बदल दी भारत की तस्वीर
प्रधानमंत्री के तौर पर राजीव गांधी कई ऐसे काम किए जो समाज के हित में थे. अपने कामों के जरिए उन्होंने देश की जनता के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ी है. नौजवान सोच वाले राजीव गांधी को 21वीं सदी के भारत का निर्माता भी कहा जाता है. 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने आधुनिक भारत की नींव रखने का काम किया. ऐसे में आइए जानते हैं कि उनके 8 कामों की वजह से भारत की तस्वीर बदल गई.


1. 18 साल की उम्र में वोट का अधिकार
अगर आज आप किसी से भी पूछें कि वोट देने के लिए अनिवार्य आयु सीमा क्या है, तो वह आपको आसानी से बता देगा कि यह 18 साल है, लेकिन पहले ऐसा नहीं था. राजीव गांधी के समय में मतदान की आयु सीमा 21 साल थी. राजीव गांधी ने ही मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 करने का फैसला लिया था. उनके इस फैसले का नतीजा यह हुआ कि 5 करोड़ नए युवा मतदाता बने. हालांकि उस समय राजीव गांधी के इस फैसले का काफी विरोध हुआ था, लेकिन अगर आज की बात करें तो उनका यह फैसला सही लगता है, क्योंकि 18 साल की उम्र का भारतीय नागरिक अपने नेता को चुनने की आजादी रखता है.


2. EVM को दिया बढ़ावा
राजीव गांधी ने चुनावों में ईवीएम मशीनों को शामिल करने के लिए कई कदम उठाए थे, उनका मानना ​​था कि ऐसा करने से चुनाव प्रक्रिया में सुधार आएगा और मतपत्रों में धांधली को रोका जा सकेगा. अगर ईवीएम नहीं होती तो पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरह भारत में भी चुनाव कराने में दिक्कतें आती और चुनाव के नतीजे आने में कई दिन लग जाते, लेकिन ईवीएम के इस्तेमाल से देश में जल्दी चुनाव होते हैं और नतीजे भी एक दिन में आ जाते हैं. इसलिए भविष्य को ध्यान में रखते हुए राजीव गांधी ने ईवीएम को ज्यादा प्राथमिकता दी.


3. राजीव गांधी का कंप्यूटर क्रांति
आज की सदी में कंप्यूटर और मोबाइल के बिना लोगों का जीवन बहुत निराशाजनक होगा. क्योंकि कंप्यूटर और मोबाइल ऑफिस से लेकर घर तक जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गए हैं. सोचिए, अगर ये न होते तो हमारा काम इतना आसान नहीं होता और हमें छोटे-छोटे कामों के लिए घंटों मेहनत करनी पड़ती. भारत में कंप्यूटर लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है. राजीव गांधी का मानना था कि नौजवान कंप्यूटर और साइंस के जरिए आगे बढ़ सकते हैं. इसलिए राजीव गांधी ने साइंस और तकनीक के लिए सरकार बजट बढ़ाया. जिससे देश के नागरिक कंप्यूटर का इस्तेमाल कर सके. दुनिया को पहला कंप्यूटर 1940 के दशक के आखिर में मिला और भारत ने पहली बार 1956 में कंप्यूटर खरीदा. कंप्यूटर का नाम HEC-2M था और इसकी कीमत 10 लाख रुपये थी.


4. दूरसंचार क्रांति 
राजीव गांधी ही थे जिन्होंने भारत में दूरसंचार क्रांति लाई. आज जिस डिजिटल इंडिया की चर्चा हो रही है, उसकी परिकल्पना राजीव गांधी ने अपने समय में की थी. उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है. राजीव गांधी की पहल पर ही भारतीय दूरसंचार नेटवर्क को स्थापित करने के लिए अगस्त 1984 में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना की गई थी. इस पहल से दूरसंचार का जाल शहरों से लेकर गांवों तक फैलने लगा. गांव-गांव में पीसीओ खुलने लगे. जिससे गांव के लोग भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सके. फिर साल 1986 में राजीव की पहल पर एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई.


5. पंचायती राज
राजीव गांधी मानते थे कि देश के गांवों की तरक्की ही देश की तरक्की है. उन्होंने गांवों को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए, पंचायती राज का कदम भी इसी कड़ी में एक फैसला था. राजीव गांधी पूरे मुल्क में पंचायती राज का अवधारणा को लागू किया, जिससे गांव में बी ग्राम सरकार की स्थापना हुई. इससे ग्राम पंचायत को सशक्त हो गया. उन्होंने पंचायती राज के तहत गांव के लोगों को अपने फैसले खुद लेने की आजादी दी. वह कहते थे कि जब ग्राम पंचायतों को सत्ता में वह दर्जा मिलेगा, जो पार्लियामेंट और विधानसभा को हासिल है. इससे लोकतंत्र में गांवों की भागीदारी बढ़ेगी. साल 1985 में राजीव गांधी सरकार ने पंचायती राज अधिनियम के जरिए पंचायतों को वित्तीय और राजनीतिक अधिकार दिए. 


6. नवोदय विद्यालयों की स्थापना
राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव इस सोच के साथ रखी थी कि गांवों के बच्चों को भी बेहतरीन एजुकेशन मिले. नवोदय विद्यालय एक आवासीय विद्यालय हैं. एंट्रेंस एग्जाम पास करने वाले मेधावी स्टूडेंट्स को इन विद्यालयों में दाखिला मिलता है. बच्चों को कक्षा 6 से 12 तक फ्री शिक्षा मिलती है. छात्रावास में रहने की सुविधा भी मुफ्त है.


7. चीन से बेहतर संबंध
साल 1962 में चीन और भारत के बीच युद्ध हुआ था, जिसके बाद भारत और चीन के बीच संबंध बहुत मधुर नहीं रहे. देश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ने चीन का दौरा किया और भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश की. दोनों मुल्कों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए राजीव के कार्यकाल में एक संयुक्त कार्य समिति का गठन किया गया, ताकि दोनों देशों के बीच शांति कायम हो सके. राजीव गांधी का यह कदम उस समय बहुत महत्वपूर्ण था. क्योंकि जंग के बाद किसी मुल्क का दौरा करना एक साहसिक और शांति स्थापित करने वाला कदम था.


8. कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट
24 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर संसद में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट पारित किया गया था. आज के वक्त में आम आदमी जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, घटिया सामान की बिक्री, ऊंचे दाम, गारंटी के बाद सेवा न मिलना, हर जगह ठगी, कम माप-तोल आदि समस्याओं से घिरा हुआ है.इससे निपटने के लिए राजीव गांधी ने 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट बनाया. जिसके बाद कोई भी व्यापारी जमाखोरी, कालाबाजारी और घटिया सामान बेचने में लिप्त नहीं हो सकेगा. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे भारतीय कानून के तहत सजा मिलेगी और पीड़ित को मुआवजे का अधिकार दिया गया है. 


देश के सबसे नौजवान पीएम का दुखद अंत
आज देश के सातवें और भारतीय इतिहास के सबसे नौजवान प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की 80वीं बर्थ एनिवर्सरी है. राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. वे पायलट थे. वे कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, लेकिन हालात ऐसे बने कि न चाहते हुए भी उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा. तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी, जो उनकी मां थीं, की हत्या के बाद उन्हें फौरन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. हालांकि, उनकी मां इंदिरा गांधी के जैसे उनकी भी हत्या हुई. दरअसल, 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नामक लिट्टे की आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी. लिट्टे की महिला उग्रवादी धनु ने राजीव गांधी को माला पहनाई, उनके पैर छुए और फिर झुककर कमर में बंधे विस्फोटकों को उड़ा दिया. राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे.