Munna Quraishi: राजधानी दिल्ली के खजूरी खास इलाके में रहने वाले मुन्ना कुरैशी के घर के बाहर खुशी का माहौल है. इसकी वजह है कि उत्तराखंड के सिलकियारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने में मुन्ना कुरैशी का बड़ा किरदार है. मुन्ना कुरैशी रैट माइनर हैं. वह दिल्ली में एक किराए के मकान में रहते हैं और अपने बच्चों की परवरिश कर रहे हैं. 12 साल पहले मुन्ना कुरैशी के माता-पिता का इंतेकाल हो गया था. उनकी बीवी भी इस दुनिया में नहीं हैं. उनके तीन बच्चे हैं. मुन्ना कुरैशी के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, जिसके चलते वह हर मेहनत मजदूरी करते हैं.


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41 मजदूरों को बचाया
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बीते 17 दिनों से सिलक्यारा टनल के अंदर फंसे 41 लोगों को बाहर निकाल लिया गया. केंद्र से लेकर सरकार की कई एजेंसियां इस रेस्क्यू ऑपरेशन में मिलकर काम कर रहीं थीं. रेस्क्यू के 16वें दिन जब आगर मशीन जवाब दे गई, तो 6 सदस्यीय रैट माइनर्स को बुलाया गया. सुरंग के आखिरी हिस्से को मुन्ना कुरैशी नाम के एक रैट माइनर ने खोदा और ऐसा करके वह पूरे ऑपरेशन के नायक बन गए.


घर से अलविदा कहकर आए थे
मुन्ना कुरैशी के चाचा कमरुद्दीन ने बताया कि मुन्ना कुरैशी घर से बिना बताए टनल ओप्रेसशन पर गया था. बस जाते हुए यह कह रहा था कि उत्तरकाशी टनल में काम करने वाले लोग हादसे के शिकार हुए हैं, उन्हें बचाने के लिए जा रहा है. यदि वह अपने घर वापस नहीं लौटा तो उनके बच्चों का ख्याल रखें.


सीवर सफाई का करते हैं काम
29 साल के मुन्ना कुरैशी दिल्ली की एक रैट माइनिंग टीम में काम करने वाले व्यक्ति हैं. वो ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग कंपनी में काम करते हैं. यह कंपनी सीवर लाइन और पानी की लाइनों को साफ करती है. मुन्ना के चाचा इकराम कुरैशी ने हमसे बातचीत करते हुए कहा जब मुन्ना कुरैशी ने सुरंग के अंदर का आखिरी पत्थर हटाया और फंसे हुए लोगों ने उन्हें देखा, तो वह खुशी से झूम उठे. उन्होंने मुन्ना को गले से लगा लिया और धन्यवाद कहा.


मुन्ना कुरैशी की हो रही चर्चा
आपको बता दें कि टनल से 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद पूरे भारत में खुशी का माहौल है. इसी के साथ खजूरी खास इलाके में तो जगह-जगह मुन्ना कुरैशी और उनकी टीम की ही चर्चा चल रही है.