Razia Sultan: इतिहास के पन्नों में ऐसी कई प्रेम कहानियां मौजूद हैं जिसकी आज भी मिसाल दी जाती है जैसे अकबर और जोधा की प्रेम कहानी, शाहजहां और मुमताज़ की अनोखी कहानी, सलीम और अनारकली की अधूरी प्रेम कहानी. इन सबके बीच एक और प्रेम कहानी दर्ज है जो पूरी नहीं हो पाई. वो प्रेम कहानी है रज़िया सुल्तान और जलालुद्दीन याकूत की. वही रज़िया सुल्तान जिन्हें भारत की पहली महिला शासक के तौर पर जाना जाता है.


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बचपन से ही रहीं अव्वल


रज़िया सुल्तान का जन्म दिल्ली सल्तनत के मशहूर शासक एवं इतिहास के प्रसिद्ध सुल्तान शमसुद्दीन इल्तुतमिश के घर 1236 ई. में हुआ था. रज़िया सुल्तान को रज़िया अल-दीन और शाही नाम जलालत उद-दिन रज़िया से भी जाना जाता है. रज़िया के तीन भाई थे वह तीनों में सबसे अव्वल थीं. उनके पिता ने रज़िया की काबिलियत को बचपन में ही भाप लिया था और उन्हें भी अपने बेटों की तरह ही सैन्य प्रशिक्षण दिया था.


4 सालों में रच दिया इतिहास


रज़िया सुल्तान ने दिल्ली की गद्दी को 1236 से 1240 तक के लिए संभाला लेकिन उन्होंने महज़ चार सालों में ही इतिहास रच डाला. दरअसल, रज़िया के पिता ने अपने बड़े बेटे को सिंहासन सौंपा लेकिन जल्द ही उनकी मौत हो गई. जिसके बाद रज़िया के पिता ने उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें उत्तराधिकारी बनाने का ऐलान कर दिया लेकिन उस दौर में एक महिला को सुल्तान के तौर पर कबूलना आसान नहीं था. पिता की मृत्यु के बाद रज़िया के दूसरे भाई रुखुद्दीन फिरोज को दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठा दिया गया लेकिन रुकनुद्दीन फिरोज को एक मूर्ख सुल्तान करार दिया गया.


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राज्य में किए कई सुधार


इसके बाद दिल्ली के राजसिंहासन को रज़िया सुल्तान ने संभाल लिया. रज़िया ने सुल्तान के तौर पर पुरूष सैनिकों जैसा कोट और पगड़ी पहनना शुरू कर दिया. रज़िया सुल्तान पहली मुस्लिम और तुर्की के इतिहास में भी पहली महिला शासक थीं. उन्होंने एक आदर्श शासक की तरह अपने राज्य में विकास कार्य किए. उन्होंने राज्य के कानून, शिक्षा, पानी और सड़क व्यवस्था को दुरुस्त करवाया.


अपने ग़लाम को दे बैठी थीं दिल


रज़िया सुल्तान अपने सलाहकार जलालुद्दीन याकूत से प्यार करती थीं. याकूत भी उन्हें बहुत चाहता था. याकूत रज़िया के ग़ुलाम था जो उन्हें घोड़े की सवारी करवाता था लेकिन रज़िया और याकूत का इश्क मुस्लिम शासकों की वजह से अधूरा रह गया. कहा जाता है कि, सुल्तान और ग़ुलाम के बीच मोहब्बत पर एतराज़ के अलावा एक और वजह थी तुर्क. याकूत  तुर्क नहीं था. इस बीच भटिंडा के गवर्नर इख्तिअर अल्तुनिया ने कई विद्रोहियों के साथ मिलकर दिल्ली पर हमला बोल दिया. अल्तुनिया और रज़िया के बीच एक युद्ध हुआ जिसमें रज़िया याकूत की मारा गया. अल्तुनिया ने रज़िया को बंदी बनाकर निकाह कर लिया.


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