नई दिल्लीः भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ( Ex chief election commissioner S.Y. Quraishi ) ने बुधवार को कहा कि जनसंख्या नियंत्रण नीति (population control policy) पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी (Mohan Bhagwat remark) बेहद संतुलित है, क्योंकि उन्होंने किसी खास समुदाय पर उंगली नहीं उठाई है. अपनी पुस्तक ‘द पॉपुलेशन मिथः इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ में मुस्लिम आबादी से संबंधित कई मिथकों पर रौशनी डालने वाले कुरैशी ने कहा है कि भागवत का विचार सही है. परिवार नियोजन को भारतीय समाज के सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाना चाहिए. 
हालांकि भागवत के बयान के बाद एआईएमआईएम के अध्यक्ष ओवैसी ने कहा है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमने पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर ली है. ओवैसी ने कहा, “चिंता एक बूढ़ी होती बड़ी आबादी और बेरोजगार युवाओं को लेकर है, जो कल अपने बुजुर्गों की मदद नहीं कर सकते हैं. देश में पिछले कुछ समय से मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट आई है.”


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क्या कहा था भागवत ने ? 
इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दशहरा रैली को खिताब करते हुए कहा था कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. भागवत ने चीन की ‘एक परिवार, एक संतान’ नीति का उदाहरण देते हुए कहा था कि चीन ने एक परिवार, एक संतान नीति को अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है.’’ उन्होंने कहा, ’’भारत आज 57 करोड़ की युवा आबादी के साथ सबसे बड़ा युवा देश है, और अगले 30 सालों तक हम युवा राष्ट्र बने रहेंगे, लेकिन 50 वर्षों के बाद क्या होगा? क्या आबादी का पेट भरने के लिए हमारे पास पर्याप्त भोजन होगा?’’ 

भारत में मुस्लिम पॉपुलेशन पर किताब लिख चुके हैं कुरैशी 
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के विजयादशमी पर दिए गए भाषण का बहुत बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है. मीडिया का ध्यान आबादी से संबंधित उनकी टिप्पणी पर है. उन्होंने कहा, “लोग मेरी किताब ’पॉपुलेशन मिथ-इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ का जिक्र कर रहे हैं, जिसे मुझे हाल ही में श्री भागवत के सामने पेश करने का मौका मिला, जहां मैंने संक्षेप में इसके केंद्र बिन्दुओं का जिक्र किया था.“ कुरैशी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आरएसएस प्रमुख ने मेरी बात ध्यान से सुनी. पूर्व नौकरशाह ने कहा, “मुझे लगता है कि भागवत का भाषण में जनसंख्या बहस के दोनों आयामों-बोझ या परिसंपत्ति का जिक्र किया गया है.“ कुरैशी उन मुस्लिम बुद्धिजीवियों में से थे, जिन्होंने हाल ही में भागवत से सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने के लिए मुलाकात की थी. 


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