Sahir Ludhianvi Shayari: साहिर लुधियानवी मशहूर शायर हैं. उन्होंने बॉलीवुड को कई मशहूर गाने दिए. साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हयी था. वह अपना तखल्लुस 'साहिर' लिखते हैं. उनकी पैदाइश 8 मार्च 1921 में लुधियाना में हुई. कॉलेज़ के दिनों में साहिर अपने शेरों के लिए मशहूर हो गए थे. अमृता प्रीतम ने भी इनकी खूब तारीफ की. हालांकि दोनों का रिश्ता घर वालो को रास नहीं आया. साहिर ने जिंदगी गुजारने के लिए कई छोटी-छोटी नौकरियां कीं. उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया.


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वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है 
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा 


मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू 
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ


ये किस मक़ाम पे पहुँचा दिया ज़माने ने 
कि अब हयात पे तेरा भी इख़्तियार नहीं 


दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ 
याद रह जाएगी ये रात क़रीब आ जाओ 


आओ कि आज ग़ौर करें इस सवाल पर 
देखे थे हम ने जो वो हसीं ख़्वाब क्या हुए 


इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के 
आज तक सुलगते हैं ज़ख़्म रहगुज़ारों के 


उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा 
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा 


तू मुझे छोड़ के ठुकरा के भी जा सकती है 
तेरे हाथों में मिरे हाथ हैं ज़ंजीर नहीं 


अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है 
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ 


मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने 
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैं ने 


ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई 
जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री 


औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया 
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया