Saudi Arabia: रिटायर्ड टीचर को ऑनलाइन पोस्ट करना पड़ा भारी, कोर्ट ने सुनाई सजा-ए-मौत
Saudi Arabia: सऊदी अरब में एक रिटार्ड टीचर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना भारी पड़ गया. कोर्ट ने उसे सजा-ए-मौत का हुक्म सुना दिया है. जानें पूरा मामला
Saudi Arabia: सऊदी अरब में एक रिटायर्ड टीचर को ऑनलाइन पोस्ट करना भारी पड़ गया. कोर्ट ने उसे सजा-ए-मौत का हुक्म सुनाया है. मीडिया रिपोर्ट्स क मुताबिक 54 वर्षीय सेवानिवृत्त सऊदी शिक्षक, मुहम्मद अल-गामदी को "भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने वाले 5 ट्वीट्स के बाद" सजा सुनाई गई है.
क्या है पूरा मामला?
ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, मुहम्मद अल-गामदी को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था और जुलाई में दोषी ठहराए जाने से पहले उन्हें काफी कम वक्त के लिए एक वकील से मिलने के इजाजत दी गई थी. उन्हें सऊदी कानून के अनुच्छेद 30 (राजा या क्राउन प्रिंस का इस तरह से वर्णन करना जो धर्म को कमजोर करता हो), अनुच्छेद 34 (आतंकवादी विचारधारा का समर्थन), अनुच्छेद 43 (आतंकवादी इकाई के साथ राबता) और अनुच्छेद 44 (आतंकवादी अपराध को अंजाम देने के इरादे से झूठी खबरें पब्लिश करना) के तहत सजा सुनाई गई है.
ह्यूमन राइट्स वॉच में सऊदी अरब के शोधकर्ता जॉय शीया ने मंगलवार को एक बयान में कहा: "सऊदी अरब में दमन एक नए भयानक फेज में पहुंच गया है. यहां एक अदालत शांतिपूर्ण ट्वीट्स पर मौत की सजा दे सकती है."
इस साल 92 लोगों को हो चुकी है सजा-ए-मौत
यूरोपियन सऊदी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, सऊदी अरब ने इस साल अब तक कम से कम 92 लोगों को फांसी दी है. 2022 में, यूके में मौजूद मानवाधिकार संगठन ALQST ने सऊदी अरब में 148 फांसी की मामलों को लिस्ट किया था, जो कि 2021 में दर्ज की गई फांसी की तादाद से दोगुनी से भी ज्यादा हैं. लीना अलहथलौल, ALQST निगरानी और वकालत की हेड और रिहा सऊदी राजनीतिक कैदी लुजैन अल-हथलौल की बहन ने कहा,"वे एक साफ और भयावह संदेश भेज रहे हैं कि कोई भी महफूज नहीं है, और यहां तक कि एक ट्वीट भी आपको मार सकता है,"
अल-ग़मदी के भाई सईद एक प्रसिद्ध सऊदी इस्लामी विद्वान और यूनाइटेड किंगडम में रह रहे सरकार के आलोचक हैं. उन्होंने कहा: “सऊदी अधिकारियों ने मुझसे कई बार सऊदी अरब लौटने के लिए कहा, लेकिन मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. यह बहुत संभव है कि मेरे भाई के ख़िलाफ़ यह मौत की सज़ा मेरी एक्टिवनेस के बदले में हो. वरना, उनके आरोपों पर इतनी कड़ी सज़ा नहीं होती.”