Bulldozer Action: बाबा के बुलडोजर पर लगेगा ज़ंग? SC ने जारी की गाइडलाइंस
SC guidelines for bulldozer: सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइंस जारी कर दी है. इसके साथ ही कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही है.
SC guidelines for bulldozer: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इमारतों को "मनमाने ढंग से" गिराने का कड़ा विरोध करते हुए अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामलों में बुलडोजर कार्रवाई को कंट्रोल करने के लिए ऑल इंडिया गाइडलाइंस जारी की है. मुख्य निर्देशों में 15 दिन पहले नोटिस जारी करना, प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करना और मौके की रिपोर्ट को पब्लिकली जारी करना और कानूनी चुनौती के लिए रास्ता दिखाना शामिल है.
किन मामलों में नहीं लागू होगी गाइडलाइंस
हालांकि, अगर अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क, रेलवे लाइन, फुटपाथ या जल निकाय पर है या अगर अदालत ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है, तो दिशा-निर्देश लागू नहीं होंगे.
क्या है बुलडोजर एक्शन ले लिए गाइडलाइंस
- केवल वे स्ट्रक्चक ध्वस्त की जाएंगी जो अनाधिकृत पाई जाएंगी और समझौता के लायक नहीं होंगी.
- मालिक को पहले जानकारी दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी और यह जानकारी स्ट्रक्चर पर प्रमुखता से प्रदर्शित की जानी चाहिए.
- कारण बताओ नोटिस 15 दिन पहले जारी किया जाना चाहिए, और इसमें तोड़ने की वजह और सुनवाई की तारीख का जिक्र होना चाहिए.
- नोटिस की डिटेल और स्ट्रक्चर के पास इसे पब्लिक तौर पर प्रदर्शित करने की तारीख बताने के लिए तीन महीने के भीतर एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाना चाहिए.
- आदेश में यह साफ किया जाना चाहिए कि घर को तोड़ने जैसा चरम कदम क्यों जरूरी है.
- आदेश देने की तारीख से 15 दिनों तक लागू नहीं किया जाएगा, ताकि मालिक/कब्जाधारी को अनधिकृत निर्माण हटाने का अवसर मिल सके.
- व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख दी जानी चाहिए, और सुनवाई में मालिक की दलीलें दर्ज की जानी चाहिए.
- उसे यह भी निर्धारित करना होगा कि क्या अपराध समझौता योग्य है या आंशिक विध्वंस संभव है.
- पिछली तारीख से बचने के लिए नोटिस जारी होते ही कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट को एक स्वचालित ई-मेल भेजा जाना चाहिए.
- एक मौके पर डिटेल रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए, और पुलिस और उपस्थित अधिकारियों सहित तोड़फोड़ की डिटेल वीडियो रिकॉर्डिंग भी बनाई जानी चाहिए.
- स्पॉट रिपोर्ट डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित की जानी चाहिए.
- इन निर्देशों का उल्लंघन करने पर अवमानना का मुकदमा चलाया जा सकता है या अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. यदि इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो संबंधित अधिकारी संपत्ति की वापसी के लिए जिम्मेदार होंगे.