SC on Bulldozer Action: बुल्डोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट का कहना है कि आरोप होने पर किसी का घर तोड़ना सही नहीं है. कोर्ट ने कहा कि किसी का घर उसकी अंतिम सुरक्षा होती है. दोषी होने पर घर तोड़ना सही नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वाले अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई होगी. बेंच ने कहा कि कानून का पालन करना जरूरी है.


काननू के शासन को कमजोर करती है ऐसी कार्रवाई


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न्यायालय ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में कार्यपालिका का अतिक्रमण मूलभूत कानूनी सिद्धांतों को बाधित करता है. न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि जब अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करते हैं तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. इस तरह की मनमानी कार्रवाई, खास तौर पर न्यायिक आदेश के अभाव में, कानून के शासन को कमजोर करती है.


न्यायालय ने कहा, "अधिकारी इस तरह मनमाने ढंग से कार्य नहीं कर सकते." साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि आपराधिक कानून में ऐसे सुरक्षा उपाय मौजूद हैं, जो अपराध के आरोपी या दोषी ठहराए गए लोगों को भी सत्ता के दुरुपयोग से बचाते हैं.


1 अक्टूबर को कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित


1 अक्टूबर को मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को भी आगे बढ़ा दिया था, जिसमें अधिकारियों को अगले नोटिस तक तोड़फोड़ अभियान रोकने का निर्देश दिया गया था. आदेश में सड़कों और फुटपाथों पर बनी धार्मिक इमारतों सहित अनधिकृत संरचनाओं को शामिल नहीं किया गया. 


सुनवाई को दौरान कोर्ट ने कही थी ये बात


सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि किसी अपराध का आरोपी या दोषी करार दिए जाने से अधिकारियों को घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने का अधिकार नहीं मिल जाता. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं... हम जो भी नियम बनाते हैं, वह सभी नागरिकों के लिए बनाते हैं. किसी विशेष धर्म के लिए कोई विशेष कानून नहीं हो सकता. किसी भी समुदाय के सदस्यों के अनधिकृत निर्माण को खत्म किया जाना चाहिए, चाहे उनका धर्म या आस्था कुछ भी हो."