SC on Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर भारत में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सख्त नियम बनाने में नाकामयाब रहने पर केंद्र की आलोचना की है और कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम ‘शक्तिहीन’ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के लिए लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर पंजाब और हरियाणा सरकारों पर भी कड़ी आपत्ति जताई है.


कोर्ट ने क्या कहा?


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न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने लगभग 1,080 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के संबंध में पंजाब के मुख्य सचिव के समक्ष चिंता व्यक्त की.


बेहद कम फाइन वसूला गया


अदालत ने कहा कि 473 व्यक्तियों से केवल नाममात्र का जुर्माना वसूला गया है, जिससे पता चलता है कि 600 से अधिक उल्लंघनकर्ता अभी भी दण्डित नहीं हुए हैं. न्यायाधीशों ने चेतावनी दी कि इससे उल्लंघनकर्ताओं को यह संदेश जाता है कि उनके कामों के लिए कोई परिणाम नहीं होगा, ऐसी हालात पिछले तीन सालों से बने हुए हैं.


न्यायमूर्ति ओका ने पंजाब के मुख्य सचिव से भी सवाल किया और किसानों के लिए ट्रैक्टर और डीजल के लिए केंद्र सरकार से किए गए अनुरोध के बारे में पंजाब के महाधिवक्ता को गलत बयान देने के लिए स्पष्टीकरण मांगा. उन्होंने यह जानने पर जोर दिया कि मुख्य सचिव को किसने निर्देश दिया या जिम्मेदार अधिकारी का नाम क्या है, साथ ही चेतावनी दी कि अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की जा सकती है. न्यायमूर्ति ने जोर देकर कहा कि वे इस मामले को यूं ही नहीं जाने देंगे.


अदालत ने हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा प्रस्तुत हलफनामे की भी समीक्षा की, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे. अदालत ने पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा, जो देश की राजधानी और अन्य इलाकों में प्रदूषण में योगदान दे रहा है.


हरियाणा के मुख्य सचिव ने बताया कि अनुपालन का विवरण अनुलग्नकों में दिया गया है. उन्होंने बताया कि 5,123 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और एक निगरानी समिति का गठन किया गया है, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है.