Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक 2024 में आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है. भारतीय एथलीटों ने दमदार खेल जारी रखते हुए दूसरे ही दिन भारत की झोली में चौथा मेडल डाल दिया है. ये मेडल भी शूटिंग में आया है, जिसे पैरा निशानेबाज मनीष नरवाल ने दिलाया है. नरवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच-1 ( SH1) के फाइनल में रजत पदक ( Siver Medal ) जीता है.उन्होंने फाइनल में  234.9 का स्कोर किया. इससे पहले भी मनीष नरवाल ने पिछले पैरालंपिक में कमाल का प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था. 


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महज 3 प्वाइंट से पीछे रहे मनीष
10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट के फाइनल में मनीष नरवाल और साउथ कोरिया के जों जोंगडू के बीच टक्कर थी. दोनों के बीच खिताबी टक्कर काफी रोमांचर रहा. कभी मनीष तो कभी जों जोंगडू आगे चल रहे थे, लेकिन आखिर में किस्मत ने साउथ कोरियन खिलाड़ी का साथ दिया. 


जों जोंगडू ने महज 3 तीन प्वाइंट से मनीष को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीता. जोंगडू ने 237.4 अंक बनाए, जबकि मनीष कुल 234.9 अंक के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वहीं,  चीन के यांग चाओ को ब्रॉन्ज मेडल संतोष करना पड़ा. उन्होंने 214.3 अंक हासिल किए.


कौन हैं पैरा शूटर मनीष और कैसा रहा है करियर?
भारतीय पैरा पिस्टल शूटर का जन्म 2001 में हुआ था. उन्होंने 2016 में हरियाणा के बल्लभगढ़ में शूटिंग की प्रैक्टिस की थी. इसके बाद यहां उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने इससे पहले 2021 में हुए पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप में पी-4 मिक्स्ड के 50 मीटर पिस्टल SH1 इवेंट में स्वर्म पदक जीतते हुए विश्व रिकॉर्ड बना दिया था. इसके अलावा मनीष ने टोक्यो पैरालंपिक में भी गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था. वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट रैंकिंग के मुताबिक,  पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 में मनीष दुनिया में चौथे पायदान पर हैं. 


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संघर्षो से भरा है मनीष का सफर 
मनीष नरवाल को यहां तक पहुंचने में काफी संघर्षो का सामना करना पड़ा. उनका राइट हैंड  बचपन से ही काम नहीं करता था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें फुटबॉल खेलना सबसे ज्यादा पसंद था. वो एक दिन फुटबॉल खेलते हुए चोटि हो गए, जिसके बाद उनके गार्जियन ने उन्हें फुटबॉल खेलने से मना कर दिया. 


लेकिन एक दिन उसके पिता अपने दोस्त के कहने पर मनीष को शूटिंग की प्रैक्टिस करवाने लगे. लेकिन उनके पिता के पास शूटिंग के लिए पिस्टल खरीदने तक के पैसे नहीं थे, क्योंकि पिस्टल का कीमत करीब 7 लाख रूपये था.   ऐसे में उन्होंने अपना पुश्तैनी घर बेचकर मनीष को पिस्टल दिलवाई. आज मनीष ने अपने पिता के उस बलिदान और त्याग को जाया नहीं जाने दिया. उन्होंन पिता के साथ-साथ पूरे देश का नाम फिर से रौशन कर दिया .


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