DRDO ने सतह से हवा में मार करने वाली वर्टिकल मिसाइल का किया परीक्षण
वीएल-एसआरएसएएम पोत पर तैनात की जाने वाली हथियार प्रणाली है, जो समुद्र-स्किमिंग लक्ष्यों सहित सीमित दूरी के हवाई खतरों को भेद सकती है.
नई दिल्लीः रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने मिलकर कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली वर्टिकल लॉन्च मिसाइल का ओडिशा तट के चांदीपुर टेस्ट रेंज से कामयाब परीक्षण किया गया. यह टेस्ट भारतीय नौसैनिक पोत से शुक्रवार 24 जून को किया गया है. वीएल-एसआरएसएएम पोत पर तैनात की जाने वाली हथियार प्रणाली है, जो समुद्र-स्किमिंग लक्ष्यों सहित सीमित दूरी के हवाई खतरों को भेद सकती है.
इस नए मिसाइल का प्रक्षेपण एक तेज गति वाले हवाई लक्ष्य के के डमी विमान को निशाना साधकर किया गया. परीक्षण प्रक्षेपण की निगरानी डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के आला अधिकारियों ने की.
भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमताओं को मजबूती मिलेगी
इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय नौसेना को इस कामयाबी के लिए बधाई दी और कहा कि इस मिसाइल के तौर पर एक ऐसे हथियार को शामिल किया गया है, जो हवाई खतरों के खिलाफ भारतीय नौसेना के जहाजों की रक्षा क्षमता को और बढ़ाएगा. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने वीएल-एसआरएसएएम के सफल परीक्षण के लिए भारतीय नौसेना और डीआरडीओ की तारीफ की और कहा कि इस स्वदेशी मिसाइल प्रणाली के विकास से भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी.
मील का पत्थर साबित होगा
वहीं, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस कामयाबी के लिए टीम की सराहना की है. उन्होंने कहा, परीक्षण ने भारतीय नौसेना के पोतों पर स्वदेशी हथियार प्रणाली के एकीकरण को साबित कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने वाला साबित होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ’आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित होगा.
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