पटनाः कांग्रेस, आप, झामुमो, सपा, राकंपा और टीएमसी के बाद अब सीबीआई राजद के नेताओं को अगला निशाना बनाने के मूड में नजर आ रही है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद अब राजद नेताओं की बारी हो सकती है. केंद्रीय जांच ब्यूरो सोमवार को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर जमीन के बदले नौकरी के मामले की जांच-परख करने पहुंची है. सीबीआई के अफसरों ने बताया कि सीबीआई की टीम ने नौकरी के बदले जमीन मामले में राबड़ी देवी के आवास को खंगाला है. हालांकि, सीबीआई ने अभी आधिकारिक तौर पर नहीं बताया है कि इस छापेमारी में क्या मिला है ?

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बाजार से कम कीमत पर ली जमीन 
इससे पहले पिछले साल 7 अक्टूबर में सीबीआई ने कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और 13 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई के मुताबिक, दिल्ली में राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया है. जांच के दौरान, यह पाया गया है कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और केंद्रीय रेलवे के सीपीओ के साथ मिलकर साजिश रची थी और जमीन के बदले में या तो उनके नाम पर या उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया था. यह जमीन अधिग्रहित की गई थी. सीबीआई ने एक प्रेस बयान में दावा किया है कि प्रचलित सर्कल रेट से कम कीमतों पर और बाजार दर से बहुत कम कीमत पर जमीन का अधिग्रहण किया गया था.

लालू के रेल मंत्री रहते हुए हुआ घोटाला 
गौरतलब है कि यह कथित घोटाला उस वक्त हुआ था जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 के बीच यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे. चार्जशीट में राजद नेता के अलावा तत्कालीन रेलवे महाप्रबंधक का नाम भी शामिल किया गया है. इस मामले में पहले दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया है कि 2004 से 2009 तक, विभिन्न व्यक्तियों को भारतीय रेलवे के अज्ञात लोक सेवकों द्वारा जमीन के बदले में विभिन्न रेलवे जोन में ग्रुप डी पदों पर ठेके पर नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया था. इल्जाम था कि भारतीय रेलवे के अज्ञात लोक सेवकों ने संबंधित अवधि के दौरान रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर स्थानापन्नों की नियुक्ति के लिए विभाग द्वारा जारी निर्देशों/दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया था.

देश के अलग-अलग हिस्सों में नियुक्ति का दावा 
प्राथमिकी में आगे कहा गया है कि जांच से पता चला है कि पटना, बिहार के निवासी होने के बावजूद कुछ व्यक्तियों को 2004-2009 की अवधि के दौरान मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर, हाजीपुर और में स्थित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह डी पद पर स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके एवज में व्यक्तियों ने स्वयं या उनके परिवार के सदस्यों ने लालू प्रसाद यादव, तत्कालीन रेल मंत्री, भारत सरकार और एक कंपनी मैसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के परिवार के सदस्यों के नाम पर अपनी जमीन हस्तांतरित की थी. 

लालू के परिवार के नाम पर ज्यादातर जमीन 
प्राथमिकी में कहा गया है, “भूमि हस्तांतरण के सात मामलों में से यह पता चला है कि लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के पक्ष में तीन बिक्री विलेख निष्पादित किए गए थे. लालू प्रसाद यादव की बेटी मिशा भारती के नाम पर एक बिक्री विलेख निष्पादित किया गया था. मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में एक बिक्री विलेख निष्पादित किया गया था, जिसमें बाद में राबड़ी देवी साल 2014 में प्रमुख शेयरधारक बनीं और वर्तमान में वह कंपनी की निदेशकों में से एक हैं. लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा यादव के पक्ष में दो उपहार विलेख निष्पादित किए गए.’’ 


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