Demonetisation: नोटबंदी से कितना हुआ नुक़सान? 15 लाख लोगों ने गंवाई नौकरी, कई की गई जान
Demonetisation Anniversary: आज ही के दिन 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने रात 8 बजे पूरे मुल्क में नोटबंदी का ऐलान किया था. जिसके बाद देश में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर पाबंदी लगी दी गई थी.ये ख़बर पढ़िए.
Demonetisation Anniversary: मुल्क की आज़ादी के बाद एक तारीख़ ऐसी है जो हमेशा हिन्दुस्तान के लोगों को याद रहेगी. यह तारीख़ है 8 नवंबर 2016. पीएम मोदी ने आज से 6 साल पहले 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे मुल्क में नोटबंदी का ऐलान किया था. उस ऐलान के बाद देश में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर पाबंदी लगी दी गई थी. देश के बाज़ार में मौजूद 86 फीसद करंसी का काग़ज़ के टुकड़े के सिवा कोई वजूद नहीं था. इस ऐलान के बाद मुल्क में बहुत कुछ बदल गया था. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की रिपोर्ट में नोटबंदी की वजह से भारत में कारोबार को 61 हज़ार करोड़ रुपये के नुक़सान की बात कही गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक़, इंडियन बैंकों को 35 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ था. इतना ही नहीं, इकॉनमी को 1.28 लाख करोड़ रुपये के नुक़सान की बात भी सामने आई थी.
नोटबंदी ने ली 33 लोगों की जान
एक तरफ़ सरकार ने नोटबंदी के फायदे बताए तो वहीं अपोज़िशन ने इसकी कमियां अवाम के सामने बयां कीं. आज नोटबंदी के 6 साल पूरे हो गए हैं. नोटबंदी के ऐलान के बाद 33 लोगों ने दम तोड़ा था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पीएम मोदी के ऐलान के बाद कुछ लोगों को ऐसा सदमा लगा कि उनकी जान चली गई. कुछ बैंकों के बाहर लगी लोगों की लंबी लाइन उनकी मौत की वजह बनी. नोट बंदी के बाद वेस्ट बंगाल में सुसाइड के मामले भी सामने आए थे. मुल्क के कई हिस्सों में ATM के बाहर भीड़ बेक़ाबू हो गई थी. जिसमें से यूपी पहले नंबर पर था.
4 महीने में 15 लाख नौकरियां गईं
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक़ सेंट्रल गवर्नमेंट के नोटबंदी के फ़ैसले के बाद अगले 4 महीनों में 15 लाख लोगों की नौकरी चली गई. CMIE के कन्ज़्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के मुताबिक़, नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच देश में नौकरियों की तादाद घटकर 40 करोड़ 50 लाख रह गईं जबकि सितंबर से दिसंबर 2016 के बीच नौकरियों की तादाद 40 करोड़ 65 लाख थीं, यानी 15 लाख भारतीयों को अपने रोज़गार से हाथ धोना पड़ा.
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