नई दिल्ली: दुनिया की सबसे मीठी और तहजीब वाली ज़बान की बात की जाए तो हर कोई उर्दू का नाम ही लेगा. इस जबान को पसंद करने और चाहने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है हालांकि इसके पढ़ने वालों की तादाद में कमी होती जा रही है. आज उर्दू दिवस (यौमे उर्दू, Urdu Day) है. इस मौके पर हम आपको खास तौर पर उन शेरों से रूबरू कराने जा रहे हैं जो खास तौर पर उर्दू जबान की तारीफ में लिखे गए हैं. 


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जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है
वहीं वहीं मिरा हिन्दोस्तान बोलता है


अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे
अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से


दुल्हन की मेहंदी जैसी है उर्दू ज़बाँ की शक्ल
ख़ुशबू बिखेरता है इबारत का हर्फ़ हर्फ़


उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं जब से ज़बान पर
तहज़ीब मेहरबाँ है मिरे ख़ानदान पर


बहुत घाटे में है उर्दू ज़बाँ क्यों
मोहब्बत की ज़बाँ होते हुए भी


हिन्दी में और उर्दू में फ़र्क़ है तो इतना
वो ख़्वाब देखते हैं हम देखते हैं सपना


उर्दू जिसे कहते हैं तहज़ीब का चश्मा है
वो शख़्स मोहज़्ज़ब है जिस को ये ज़बाँ आई


इस तरह मुंसलिक हुआ उर्दू ज़बान से
मिलता हूँ अब सभी से बड़ी आजिज़ी के साथ


वो बोलता है निगाहों से इस क़दर उर्दू
ख़मोश रह के भी अहल-ए-ज़बाँ सा लगता है


उर्दू है जिस का नाम हमीं जानते हैं 'दाग़'
हिन्दोस्ताँ में धूम हमारी ज़बाँ की है


वो उर्दू का मुसाफ़िर है यही पहचान है उस की
जिधर से भी गुज़रता है सलीक़ा छोड़ जाता है


हम न उर्दू में न हिन्दी में ग़ज़ल कहते हैं
हम तो बस आप की बोली में ग़ज़ल कहते हैं


हाँ मुझे उर्दू है पंजाबी से भी बढ़ कर अज़ीज़
शुक्र है 'अनवर' मिरी सोचें इलाक़ाई नहीं


मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ
जो भी मैं कहता गया हुस्न-ए-बयाँ बनता गया


डाल दे जान मआ'नी में वो उर्दू ये है
करवटें लेने लगे तब्अ वो पहलू ये है


'हफ़ीज़' अपनी बोली मोहब्बत की बोली
न उर्दू न हिन्दी न हिन्दोस्तानी


अभी तहज़ीब का नौहा न लिखना
अभी कुछ लोग उर्दू बोलते हैं


जो दिल बाँधे वो जादू जानता है
मिरा महबूब उर्दू जानता है


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