JEE 2022: दिल्ली हाईकोर्ट ने जेईई (JEE) के छात्र द्वारा दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी प्रवेश परीक्षा में छात्रों का अच्छा प्रदर्शन ही सफलता का पैमाना नहीं है. अभिभावकों व शिक्षकों को छात्रों को बड़ी सोच रखने के लिए प्रोतसाहित करना चाहिए. जेईई मेन की परीक्षा देने वाले एक छात्र ने आधिकारिक रूप से हासिल किए गए मार्क्स को लेकर नाराज़गी जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ती संजीव नरुला की पीठ ने राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में छात्र के प्रदर्शन के महत्व को स्वीकार किया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह छात्र के सफर का अंत नहीं है.     


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्होंने जेईई मेन (JEE Main) की परीक्षा में निर्धारित अंकों से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें जेईई एडवांस्ड के लिए आवेदन करने के योग्य नहीं माना गया. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के पोर्टल से जईई मेन की परीक्षा का परीणाम डाउनलोड किया तो उन्होंने पहले और दूसरे सत्र में क्रमश: 98.79 और 99.23 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, लेकिन जब वे जेईई एडवांस्ड परीक्षा के लिए आवेदन करने लगे तब उन्हें पता चला कि उन्हें आधिकारिक रूप से 20.767 और 14.64 प्रतिशत अंक ही हासिल हुए हैं. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने छात्र के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि एनटीए की ऑफिशिलय वेबसाइट पर दिए गए आधिकारिक रिकॉर्ड इन दावों का समर्थन नहीं करते हैं. 


आखिर क्यों नीले रंग की ही होती हैं एरोप्लेन की सीटें? जानें इसके पीछे की अहम वजह


दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेरी और गड़बड़ी हुई है इसका कोई आधार नहीं हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता इन परिस्थितियों के कारण भावनात्मक रूप से तनाव का सामना कर रहे हैं. वहीं न्यायमूर्ती संजीव नरुला की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली राष्ट्रीय स्तर की ऐसी परीक्षाओं में छात्रों के प्रदर्शन से जुड़े महत्व को ध्यान में रखते हुए, इस तरह की प्रतिक्रिया काफी स्वाभाविक है. हालांकि, अभिभावकों और शिक्षकों को छात्रों को बड़ी सोच रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि यह अभी उनके सफर का अंत नहीं है. इसके अलावा पीठ ने कहा कि किसी प्रवेश परीक्षा में किया गया प्रदर्शन ही छात्रों की सफलता को मापने का एकमात्र पैमाना नहीं है. 


दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हाल में वयस्क हुए याचिकाकर्ता को अभी अपने जीवन में काफी लंबा रास्ता तय करना है और उन्हें जिंदगी में सफलता प्राप्त करने के लिए निश्चित ही से बहुत सारे अवसर मिलेंगे.