Justice S Nazir: जस्टिस अब्दुल नजीर इस साल चार जनवरी को रिटायर्ड हुए थे, जिसके बाद उन्हें इसी महीने आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया है लेकिन इस नियुक्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या बाबरी मस्जिद पर हिंदू पक्ष का समर्थन करने के लिए जस्टिस (आर) अब्दुल नज़ीर को 'ईनाम' दिया गया है? क्योंकि इससे बीजेपी को काफी फायदा हुआ और उसे चुनावों में भारी कामयाबी मिली.


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भारत में, विपक्षी दल कांग्रेस ने जस्टिस (रिटायर्ड) अब्दुल नजीर की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति पर भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली के शब्दों को दोहराया, जिसमें उन्होंने एक बिंदु पर कहा था कि "रिटायरमेंट के बाद एक अच्छे पद तैनाती की ख्वाहिश जजों के फैसलों पर असर डालती है." भारत में जजों को सरकारी पद देने की परंपरा थोड़ी पुरानी है, लेकिन कुछ जानकारों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में जजों की नियुक्ति इतनी तेजी से हो रही है कि इसने तार्किकता और समझदारी का पर्दा तोड़ दिया है.


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रिटायर्ड जज अब्दुल नज़ीर से पहले जस्टिस रंजन गोगोई को भी राज्यसभा एमपी बनाया गया था. रंजन गोगोई को जब राज्यसभा का सदस्य बनाया गया था, तब उन्होंने संकल्प व्यक्त किया था कि न्यायिक मामलों और न्याय व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए वे संसद में आवाज उठाएंगे. विधि आयोग के पूर्व प्रमुख न्यायमूर्ति एपी शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि "किसी भी तीफ जस्टिस की स्थिति बहुत पवित्र होती है, इसलिए इस तरह के प्रस्ताव को कुबूल करने से संदेह और आरोप लगेंगे."


दिलचस्प बात यह है कि जब कांग्रेस के वक्त जजों को इस तरह के पद दिए जाते थे भाजपा विरोध किया करती थी. इसमें स्वर्गीय अरुण जेटली और मौजूदा रोड एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी का नाम शामिल है. अरुण जेटली ने कहा था कि जजों को रिटायरेमेंट के बाद कोई भी सरकारी पद कुबूल नहीं करना चाहिए. क्योंकि रिटायरमेंट के बाद एक अच्छे पद तैनाती की ख्वाहिश जजों के फैसलों पर असर डालती है.


ऐसे में जब Voice of America (VOA) ने जब भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी से बातचीत की तो उन्होंने अरुण जेटली को ही गलत ठहरा दिया. VOA के मुताबिक स्वामी ने कहा,"जब जेटली ने राज्यसभा में यह बयान दिया था, तब मैं वहीं पर थी. उनका बयान गलत था." इतना ही नहीं स्वामी ने आगे कहा,"जेटली ने एक भी चुनाव नहीं जाती है. उन्हें जनता और जनता के शासन के बारे में क्या पता."


स्वामी आगे कहते हैं कि वो जजों को गवर्नर बनाने के खिलाफ नहीं हैं, कोई भी अच्छी सरकार ऐसे लोगों को गवर्नर बनाना चाहेगी जो काबिल हों और जज से ज्यादा काबिल कौन हो सकता है?


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