इंदौर लॉ कॉलेज मामला: प्रोफ़ेसर इनामुर्रहमान की गिरफ़्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक; कहा-नियुक्ति से पहले लिखी गईं किताबें
Indore Law College: इंदौर लॉ कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल प्रोफ़ेसर इनामुर्रहमान को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. प्रोफ़ेसर को विवादित किताबों के लिखने और कॉलेज की लाइब्रेरी में रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दी है.
Indore Law College: इंदौर लॉ कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल प्रोफ़ेसर इनामुर्रहमान को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. प्रोफ़ेसर को विवादित किताबों के लिखने और कॉलेज की लाइब्रेरी में रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दी है. प्रोफ़ेसर इनामुर्रहमान को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ़्ते के लिए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. दलीलों में कहा गया कि जिन किताबों को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है वो प्रोफ़ेसर रहमान के प्रिंसिपल अप्वाइंट होने से कई साल पहले लिखी और प्रकाशित हुई हैं. वहीं अब उनकी ज़मानत पर जनवरी के महीने में सुनवाई होगी.
इंदौर में दर्ज कराई गई FIR
बता दें कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रोफ़ेसर रहमान के ख़िलाफ़ इंदौर के भवर कुआं थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी. प्रोफ़ेसर रहमान की लिखी किताब 'कलेक्टिव वायलेंस एंड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम' समेत तीन किताबों को राष्ट्र विरोधी बताते हुए आंदोलन चलाया गया है. इन किताबों को साल 2014 में प्रकाशित किया गया था और इन किताबों को कॉलेज की लाइब्रेरी में रखा गया था. हाल ही में जब स्टूडेंट ने उन्हें पढ़ा तो इसकी जमकर मुख़ालेफत शुरू हो गई. एलएलएम के स्टूडेंट ने किताब को सबूत के तौर पर पेश करते हुए प्रोफ़ेसर रहमान के ख़िलाफ़ इंदौर में एफआईआर दर्ज करा दी. एफआईआई में कहा गया है कि किताब में लिखे गए तथ्य झूठे, फ़र्ज़ी और बेबुनियाद हैं और इससे अवाम के बीच नफ़रत फैलने और अमन के ख़त्म होने का अंदेशा है.
RSS के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का ज़रिया हैं किताबें: नरोत्तम मिश्रा
विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया. इस बीच मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर नरोत्तम मिश्रा ने भी किताब को आरएसएस के ख़िलाफ़ जानबूझ कर नफ़रत फ़ैलाने का ज़रिया बताते हुए किताब के राइटर प्रोफ़ेसर इनामुर्रहमान को गिरफ्तार करने की बात कही थी. इसके बाद रहमान अग्रिम ज़मानत के लिए पहले इंदौर ज़िला कोर्ट गए, वहां अर्ज़ी नामंजूर होने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अपील की. वहां से राहत न मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया, जिसके बाद उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगाई गई.
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