नई दिल्लीः भारी राजनीति विरोध के बावजूद बिहार का जाति आधारित गणना जारी रहेगा, इसपर कोई रोक नहीं लगेगी. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित गणना कराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है, लिहाजा इन्हें खारिज किया जाता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात की छूट दी है कि याचिकाकर्ता संबंधित हाईकोर्ट का रुख कर सकता है.

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माफ कीजिए, हम ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, ‘‘यह लोकप्रियता हासिल करने के इरादे से दाखिल की गई याचिका है. हम यह कैसे निर्देश जारी कर सकते हैं कि किस जाति को कितना रिजर्वेशन दिया जाना चाहिए. माफ कीजिए, हम ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकते. इन याचिकाओं पर कोई सुनवाई नहीं कर सकते.’’ सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें से एक याचिका एक गैर-सरकारी संगठन ने दाखिल की थी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

इस आधार पर हो रहा है जाति आधारित जनगणना का विरोध 
गौरतलब है कि एक याचिकाकर्ता ने मामले को फौरन सुनवाई के लिए लिस्ट किए जाने की अपील की थी, जिस पर 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई 20 जनवरी को करेगी.  उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने जाति आधारित जनगणना का काम शुरू कर दिया है, लेकिन भाजपा इसका विरोध कर रही है. बिहार सरकार का कहना है कि इससे सरकारी योजनाओं को उनतक पहुंचाने में सरकार को मदद मिलेगी, यह उनके हित में होगी, जबकि भाजपा इससे समाज में जातिवाद और  जातीय विषमता फैलेने का खतरा पैदा हो जाएगा. 

जदयू से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत 
उधर, सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना के रोक वाली याचिका खारिज होने पर जदयू नेता और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार का जो फैसला था वह राज्य हित में है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इससे बजट बनाने में सुविधा होगी. ऐसे लोग जिनकी माली हालत खराब थी उनके लिए योजना बनेगी


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