Supreme Court on Patanjali Misleading Ads: बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दरअसल, दवाओं के भ्रामक एडवर्टाइजमेंट मामले में रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना की याचिका पर SC ने आज यानी 10 अप्रैल को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान दोनों ने ही बिना शर्त माफी मांग ली थी. हालांकि, कोर्ट ने बाबा रामदेव की तरफ से दिए गए हलफनामें को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. 


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इस दौरान न्यायाधीश हिमा कोहली ने कहा, "हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में छप गई. इसे प्रचार के लिए दाखिल किया गया या हमारे लिए?" 


भुगतना होगा नतीजा
इसपर बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा, "हमने 6 अप्रैल को ही हलफनामा दाखिल कर दिया था. रजिस्ट्री ने शायद इसे न्यायाधीशों के सामने नहीं रखा." इसके बाद उन्होंने हलफनामे का अंश पढ़कर सुनाया, जिसमें बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से बिना शर्त माफी मांगी गई है. इसपर न्यायाधीश अमानुल्लाह ने कहा, "इन लोगों ने तीन-तीन बार हमारे आदेशों की अनदेखी की है. इन लोगों ने गलती को है इनको नतीजा भुगतना होगा."


कोर्ट ने लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमारे आदेश के बाद भी? हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते. हम हलफनामा को ठुकरा रहे हैं ये सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है. हम अंधे नहीं हैं! हमें सब दिखता है." इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा, "लोगों से गलतियां होती हैं" इस पर कोर्ट ने कहा, "फिर गलतियां करने वालों को भुगतना भी पड़ता है. फिर उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है. हम इस मामले में इतने उदार नहीं होना चाहते."


ड्रग्स लाईसेंसिंग अधिकारियों सस्पेंड करने का दिया आदेश
इसके साथ ही कोर्ट ने ड्रग्स लाईसेंसिंग अधिकारियों सस्पेंड करने का आदेश देते हुए कहा, इन लोगों को सस्पेंड कीजिए. ये लोग आपकी नाक के नीचे दबदबा बनाते हैं. आप इसे एक्सेप्ट करते हैं? आयुर्वेद दवाओं का कारोबार करने वाली उनसे भी पुरानी कंपनियां हैं. कोर्ट का मखौल बनाया जा रहा है. इनका कहना है कि एडवर्टाइजमेंट का उद्देश्य लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखना है, मानो वे दुनिया में आयुर्वेदिक दवाएं लाने वाले पहले शख्स हैं."