115 विपक्षी नेताओं पर केस; सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना, ED और CBI उन्हें कर रही है परेशान
Supreme court refuses to entertain plea of 14 parties alleging misuse of central probe agencies : केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली 14 राजनीतिक दलों की याचिका पर शीर्ष अदालत का सुनवायी से इनकार करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के नेतृत्व में 14 सियासी दलों की उस याचिका पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया, जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने का इल्जाम लगाते हुए भविष्य के लिए दिशानिर्देश जारी करने की अपील की गई थी. इस मामले में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की बेंच ने कहा, ’’किसी मामले के तथ्यों से संबंध के बिना सामान्य दिशानिर्देश देना खतरनाक होगा.’’ कोर्ट ने कहा कि आप किसी एक केस विशेष को लेकर आएं तो समझ आता है पर आप सब राजनेताओं को लेकर बात रख रहे हैं. एक बार को आम आदमी कहे कि वो कोर्ट नहीं जा पा रहा तो समझ में आता है, पर नेता अपने केस में कोर्ट न आ पाए, ये सम्भव नहीं है. हम याचिका पर नहीं सुनवाई करने नहीं जा रहे हैं. हम सामूहिक तौर पर कोई गाइडलाइन्स नहीं जारी कर सकते हैं.
जिनपर मुकदमें उनमें 95 फीसदी विप्पक्षी नेता
इससे पहले राजनीतिक दलों की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी सीबीआई और ईडी जिन राजनेताओ के खिलाफ जांच कर रही है, उनमें 95 फीसदी विपक्ष के नेता हैं. जिन 121 नेताओ के खिलाफ जाँच की जा रही है, उनमें 115 विपक्षी नेता शामिल हैं. सीबीआई जिन 124 राजनेताओं के खिलाफ़ जांच कर रही है, उनमें 118 विपक्षी नेता है. सिंघवी के इस दलील पर कोर्ट ने पूछा कि आपके आंकड़े अपनी जगह सही हैं, लेकिन क्या राजनेताओं के पास जांच से बचने का कोई विशेषाधिकार है? आखिर राजनेता भी देश के नागरिक ही हैं. कोर्ट ने कहा कि क्या आप चाहते है कि राजनेताओं के खिलाफ कोई जांच या मुकदमा नहीं होना चाहिए. कोर्ट के जवाब पर वकील ने कहा कि सवाल विपक्ष को परेशान करने का है. जांच के नाम पर एजेसियों के दुरूपयोग का है, जो राजनैतिक दल यहां पहुंचे है, उनकी 11 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में सरकार है. 42 फीसदी से ज़्यादा वोट प्रतिशत उनको पिछले चुनाव में मिले हैं. ये बड़े पैमाने पर लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
याचिका में की गई थी ऐसी मांग
याचिका पर विचार करने में शीर्ष अदालत की अनिच्छा को भांपते हुए राजनीतिक दलों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी. इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई. पीठ ने कहा, ‘‘आप कृपया तब हमारे पास आएं जब आपके पास कोई व्यक्तिगत आपराधिक मामला या मामले हों.’’ इस याचिका में विपक्षी राजनीतिक नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकार का इस्तमाल करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ दंडात्मक आपराधिक प्रक्रियाओं के उपयोग में खतरनाक वृद्धि का इल्जाम लगाया गया था.
इन दलों के नेता हुए थे शामिल
इस संयुक्त प्रयास में कांग्रेस के अलावा, द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना (यूबीटी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस शामिल थीं.
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