नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश की सत्ता में भाजपा और योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के बाद पुलिस ने ढे़र सारे अपराधियों और आरोपियों का एनकाउंटर कर दिया. कई बार विपक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरने के लिए यहां तक कह दिया है कि योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को  एनकाउंटर प्रदेश बना दिया है. वहीं, प्रदेश की भाजपा सरकार हमेशा प्रदेश में एनकाउंटर की बढ़ती संख्या में शर्मिंदा होने के बजाए खुद का पीठ थपथपाती रही है, जबकि एनकांउटर अपने आप में एक अपराध और राज्य द्वारा की गई हत्या मानी जाती है.  


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अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार को 2017 से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का हुक्म दिया है. बाहुबली और दिवंगत पूर्व सांसद-विधायक अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के कत्ल की जांच की मांग पर कोर्ट ने सरकार को ये निर्दश दिया है. इसको लेकर अतीक-अशरफ की बहन आयशा नूरी और उसके वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.


योगी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के सवाल 
कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा है कि कुल 183 एनकाउंटर में से कितने मामले संदिग्ध पाए गए हैं. इस मामले में कितने आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, और इस वक्त ट्रायल की क्या स्थिति है. कोर्ट ने यूपी सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का हुक्म दिया है.  सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद के कत्ल की साजिश में पुलिस की मिलीभगत होने का शक जताया है. जस्टिस रविन्द्र भट्ट ने कहा, "अतीक के मर्डर के वक़्त कई पुलिसकर्मी उसकी हिफाजत में तैनात थे. उसके बावजूद शूटर आकर उसे गोली मार देते हैं. आखिर ये कैसे मुमकिन हो सकता है? क्या कोई अपराधियों से मिला हुआ था ? इसकी भी जांच होनी चाहिए." सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद के बच्चों को अभी तक रिश्तेदारों को न सौंपे जाने पर भी सवाल किया है. कोर्ट ने कहा कि हमे पता चला है कि अतीक अहमद के नाबालिग बच्चे अभी जेल में है. 


सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी सफाई 
कोर्ट के इस सवाल पर यूपी सरकार के वकील ने बताया कि वो चाइल्ड केयर होम में रह रहे हैं. कोर्ट ने सवाल किया कि जब उनके रिश्तेदार उनकी देखभाल के लिए मौजूद है, तो फिर वो चाइल्ड केअर होम में क्यों मौजूद है? कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से इस पर भी सरकार का रुख साफ कर कोर्ट को जानकारी देने को कहा है.
इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी और यूपी के एडवोकेट जनरल अजय कुमार मिश्रा ने बेंच को बताया कि एनकाउंटर के हर मामले की सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत जांच करवाई गई है. 183 में से 144 एनकाउंटर के मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो चुकी है. इस पर जजों ने कहा कि वह पूरी जानकारी हलफनामे के रूप में दाखिल करें.


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