International Tea Day: 'चाय'... कुछ लोगों के लिए दूध-पानी, चीनी और चायपत्ती का मिश्रण ही नहीं होता बल्कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का सबसे अहम पल वो होता जिस वक्त वो चाय की चुस्कियां लेते हैं. चाय के इन्हीं शौकीनों के लिए 21 मई यानी आज का दिन बेहद अहम होता है. क्योंकि इस दिन को 'चाय दिवस' (Tea Day) के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन का मकसद चाय के इतिहास, उत्पादन, खपत और सेहत के फायदों समेत अलग-अलग पहलुओं के बारे में जागरुकता बढ़ाना है.


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सबसे पहले चाय दिवस भारत की राजधानी दिल्ली में साल 2005 में मनाया गया था. भारत के इस कदम के बाद चाय की पैदावारी करने वाले अन्य देशों ने भी इस दिन को मनाना शुरू कर दिया है. इन देशों में श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, केन्या, मलावी, मलेशिया, युगांडा और तंजानिया वगैरह शामिल हैं. आज चाय दिवस (Tea Day) के मौके पर हम आपको कुछ शायरी पढ़वाने जा रहे हैं. पढ़िए


आज फिर चाय बनाते हुए वो याद आया
आज फिर चाय में पत्ती नहीं डाली मैं ने
तरुणा मिश्रा


बिखरता जाता है कमरे में सिगरटों का धुआँ
पड़ा है ख़्वाब कोई चाय की प्याली में
नज़ीर क़ैसर


ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़
ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है
आमिर सुहैल


छोड़ आया था मेज़ पर चाय
ये जुदाई का इस्तिआरा था
तौक़ीर अब्बास


कई झमेलों में उलझी सी बद-मज़ा चाय
उदास मेज़ पे दफ़्तर के काग़ज़ात का दुख
साइमा आफ़्ताब


इसके अलावा कुछ सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने वाली पोस्ट की बात करें तो वो कुछ इस तरह हैं. 


ये इश्क ही तो है हमारा चाय से,
वरना खौलती हुई चीज आखिर 
कौन लबों से चूमता है.


तलब लगी है तुम्हारे साथ चाय पीने की
तुम चाय को देखना हम तुम्हें देखेंगे.


जितना उबलती है उतनी बेहतर लगती है,
ये चाय भी ना मुझे मेरे गुस्सेवाली बाबू जैसे लगती है


इज़हार-ए-मोहब्बत बेधड़क होनी चाहिए
चाय हो या इश्क हो कड़क होना चाहिए