किसानों की दिक्कतों को सुनने के लिए इस सरकार ने उठाया बड़ा कदम, बनाएगी आयोग
Kisan Ayog in Telangana: जहां एक तरफ किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए आस-पास धरना दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना सरकार ने किसानों के मसलों को सुनने के लिए आयोग बनाना का फैसला किया है.
Kisan Ayog in Telangana: तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि राज्य में जल्द ही एक किसान आयोग और एक शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा. शिक्षा आयोग शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए नीतियां बनाएगा जबकि किसान आयोग किसानों और बटाईदार किसानों के कल्याण के लिए सिफारिशें करेगा और उनकी शिकायतों का समाधान भी करेगा. सचिवालय में दीगर सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बटाईदार किसानों के कल्याण और अधिकारों की सुरक्षा पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक आयोजित करेगी.
किसानों के फायदे के लिए बातचीत
सीएम और प्रतिनिधियों ने बटाईदार किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नया कानून लाने का विचार साझा किया. रेवंत रेड्डी ने राय दी कि 'रायथु भरोसा' योजना में लाभ बढ़ाने पर व्यापक चर्चा की जानी चाहिए. सरकार का अहम मकसद बेसहारों तक फायदा पहुंचाना है और अगर जरूरत हो तो वास्तविक लाभार्थियों की ज्यादा मदद की जानी चाहिए. उन्होंने ऐलान किया कि फसल बीमा योजना को पूरी तरह से लागू किया जाएगा.
किसान अपनाएं नए तरीके
मुख्यमंत्री ने राज्य में फसल चक्र अपनाने पर भी जोर दिया और कहा कि किसानों को सभी फसलों की खेती के लिए नए तरीके अपनाने चाहिए. उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि सरकार ने राज्य में सत्ता संभालने के दिन से ही कई कल्याणकारी प्रोग्राम शुरू किए हैं. नई सरकार के गठन के कुछ ही घंटे के भीतर इंदिरा पार्क में धरना चौक शुरू किया गया और लोगों की शिकायतों के समाधान के लिए प्रजा भवन के दरवाजे खोल दिए गए. रेवंत रेड्डी ने दोहराया कि सरकार बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तर्ज पर तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग पारदर्शी तरीके से भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा.
आंदोलनरत हैं किसान
गौरतलब है कि जब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे हैं. वह सरकार से कई मांगे मंगवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार इन्हें दिल्ली आने से रोकने के लिए कई काम कर रही है. किसान नेता सरकार से की दौर की बातचीत भी कर चुके हैं. आंदोलन के दौरान कई किसानों की हत्याएं भी हो चुकी हैं.