केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम समुदाय से Ghulam Ali को राज्यसभा में किया नामित
Gurjar Muslim nominated to Rajya Sabha: राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राज्यसभा में एक मनोनित सदस्य के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई जगह को भरने के लिए गुलाम अली को राज्यसभा के लिए नामित किया है.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम (Gurjar Muslim) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गुलाम अली (Ghulam Ali nominated to Rajya Sabha) को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. यह संभवतः पहली बार है, जब इस इलाके के गुर्जर मुस्लिम समुदाय के किसी शख्स को संसद में राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (एक) के उप-खंड (ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, जो उसी अनुच्छेद के खंड (3) में शामिल है, राष्ट्रपति एक मनोनित सदस्य के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई जगह को भरने के लिए गुलाम अली को राज्यसभा के लिए नामित करती हैं.’’
सरकार के कदम की सराहना
सरकार के इस कदम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अनुच्छेद-370 को खत्म किए जाने से पहले इस समुदाय का विधायी निकायों में बहुत कम प्रतिनिधित्व था. इससे इस समुदाय के बीच भी भाजपा की पैठ बनेगी. सरकार के इस कदम को लेकर कई राजनेताओं ने इसकी सराहना की है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया था, और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट कर दिया था. अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था.
भाजपा ने बिप्लब देब को त्रिपुरा से अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाया
इससे पहले दिन में भारतीय जनता पार्टी ने त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को राज्यसभा उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित किया था. देव माणिक साहा द्वारा खाली की गई सीट से चुनाव लड़ेंगे. त्रिपुरा में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले माणिक साहा ने मुख्यमंत्री के तौर पर देब की जगह ली थी. उपचुनाव 22 सितंबर को होना है और देब की जीत तय मानी जा रही है, क्योंकि राज्य विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत है. 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में सत्तारूढ़ दल भाजपा के 36, उसकी सहयोगी आईपीएफटी के आठ विधायक हैं. वहीं, माकपा के पास 15 और कांग्रेस के पास एक विधायक है.
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