हमास-इसराइल युद्ध का भारत पर भी दिखा असर; US डॉलर के मुकाबले निचले स्तर पर पहुंचा रुपया
Indian Rupee: बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.26 पर खुला और निचले स्तर पर 83.35 तक गिर गया. हालांकि, कुछ उतार-चढ़ाव के बाद पिछले दिन के मुकाबले 9 पैसे कम होकर 83.33 पर अब तक के सबसे निचले दर्जे पर बंद हुआ.
Indian Rupee: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे गिरकर बुधवार को अब तक के सबसे निचले दर्जे 83.33 पर पहुंच गया है. गैर मुल्की फंडों ने शेयर बाजारों से पैसा निकालना जारी रखा और मीडिल ईस्ट में भू-राजनीतिक की गैर-यकीनी सूरत-ए-हाल के चलते तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुआ, जिसकी वजह से छह अहम करेंसी के मुकाबले डॉलर इंडेक्स पर अमेरिकी ग्रीनबैक भी मजबूत हुआ, जो 0.20 फीसदी बढ़कर 106.87 पर पहुंच गया.
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.26 पर खुला और निचले स्तर पर 83.35 तक गिर गया. हालांकि, कुछ उतार-चढ़ाव के बाद पिछले दिन के मुकाबले 9 पैसे कम होकर 83.33 पर अब तक के सबसे निचले दर्जे पर बंद हुआ.
भारतीय करेंसाी ( रुपए ) को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी बांड पर ज्यादा यील्ड की वजह से भारतीय शेयर बाजारों से पैसा बाहर जा रहा है और ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने डॉलर की मांग बढ़ा दी है.
बाजार विश्लेषकों के मुतबाकि, " RBI अपने भंडार से अमेरिकी डॉलर जारी कर रुपए को स्थिर करने में कुछ हद तक सफल रहा है, लेकिन यह एक हद से आगे नहीं जा सकता. हाल के हफ्तों में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिर रहा है". रुपए को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.29 से नीचे गिरने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अक्टूबर में विदेशी एक्सचेंज मार्केट में लगातार हस्तक्षेप किया.
इस वजह से लगातार गिरावट रूका
शुक्रवार को जारी RBI के आंकड़ों के मुताबिक, "20 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.36 अरब डॉलर घटकर 583.53 अरब डॉलर रह गया. हालांकि, देश का विदेशी एक्सचेंज रिजर्व्स 1.15 अरब डॉलर बढ़ गया था, जिसने पिछले पांच हफ्तों में लगातार गिरावट को रोक दिया".
इस वजह से और हो सकती है रूपये कमजोर
6 अक्टूबर को खत्म सप्ताह में देश का एक्सचेंज रिजर्व्स 14.166 अरब डॉलर गिरकर पांच महीने के निचले दर्जे के 584.74 अरब डॉलर पर आ गया था. ताजा गिरावट के साथ, विदेशी एक्सचेंज रिजर्व्स और भी गिर गया है.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से RBI के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम है, जिससे भारतीय मुद्रा कमजोर हो जाएगी.