विकास दिव्यकीर्ति सर के संस्थान के नीचे चाय बेचने वाले शख्स ने IPS बनकर की लाखों की ठगी
The person selling tea near drishti institute cheated 50 people as Posing IPS: दिल्ली पुलिस ने मुखर्जी नगर में चाय की दुकान चलाने वाले एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जहां फर्जी आईपीएस बनकर लोगों से उनके काम कराने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी कर चुका है.
नई दिल्लीः उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर का इलाका संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के कोचिंग सेंटरों और यहां सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वालो उम्मीदवारों के लिए जाना जाता रहा है. यहां देश के कोने-कोने से छात्र पढ़ाई करने आते हैं. यहां तक कि निलोत्पल मृणाल ने अपने चर्चित उपन्यास 'डार्क हॉर्स’ में भी दिल्ली के इस इलाके का जिक्र किया है. लेकिन अब इस इलाके से एक बेहद दिलचस्प खबर सामने आई है. इस इलाके में चाय की दुकान चलाने वाले एक शख्स को पुलिस ने आईपीएस अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया है.
8वीं क्लास ड्रॉपआउट है फर्जी आइपीएस
खास बात यह है कि 30 वर्षीय आरोपी विकास गौतम उर्फ विकास यादव महज 8वीं क्लास ड्रॉपआउट है. वह मुखर्जी नगर के प्रमुख संस्थानों से कोचिंग ले रहे आईएएस/पीसीएस के उम्मीदवारों को चाय पिलाने का काम करता है. लेकिन उसकी महत्वकांक्षा इतनी जाग गई कि उसने आईपीएस अधिकारी बनकर लोगों से ऑनलाइन ठगी करने लगा.
एक पुलिस अफसर ने बताया कि आरोपी विकास गौतम ने खुद को 2020 बैच के आईपीएस अधिकारी (यूपी कैडर) बताकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 50 से ज्यादा लोगों से 14 लाख रुपये से ज्यादा की रकम की ठगी कर ली. पुलिस ने कहा कि उसने आर्थिक लाभ के बदले विभिन्न विभागों में काम करवाने के लिए अपनी फर्जी पहचान पत्र का भी इस्तेमाल किया है.
डॉक्टर से फोनपे पर 25,000 मांगने पर हुआ शक
पुलिस उपायुक्त (बाहरी) हरेंद्र के. सिंह के मुताबिक, 17 दिसंबर को बाहरी जिले के साइबर पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया था. दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में कार्यरत एक महिला डॉक्टर ने यह शिकायत दर्ज कराई थी. इंस्टाग्राम पर आईपीएस अफसर विकास यादव की फर्जी आईडी से फेसबुक पर उससे दोस्ती हो गई और कुछ दिनों की बातचीत के बाद ही विकास ने डॉक्टर से फोनपे पर 25,000 रुपए यह कहकर मंगवाए थे कि उसे अपनी मां के इलाज के लिए पैसे की जरूरत है. विकास की इसी गलती की वजह से उसकी पोल खुल गई.
सोशल मीडिया से ही धरा गया आरोपी
अफसर ने बताया कि शिकायतकर्ता और सोशल मीडिया पोर्टल से मिले संदिग्ध के मोबाइल नंबरों के सीडीआर का विश्लेषण करने के बाद आरोपी का लोकेशन ग्वालियर में पाया गया था, जहां छापेमारी कर पुलिस ने विकास को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उसने पहले तो किसी भी तरह के अपराध में शामिल होने से इनकार किया था, लेकिन उसके मोबाइल फोन के इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर अकाउंट की जांच करने पर आईपीएस विकास यादव और जीमेल आईडी आईपीएसविकासयादव9 एट द रेट जीमेल डॉट कॉम से लॉग इन पाया गया, जिसके बाद उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया.
रणछोड़दास छांछर की तरह यूपीएससी लिस्ट में दिखाया अपना नाम
पुलिस के मुताबिक, विकास 2019 में दिल्ली आया था. उसने सिविल सेवा के उम्मीदवारों के लिए एक कोचिंग संस्थान दृष्टि के सामने मुखर्जी नगर में एक होटल में काम किया और इस तरह कई सिविल सेवा उम्मीदवारों के संपर्क में आ गया. यह वही संस्थान है, जिसके शिक्षक विकास दिव्यर्कीति सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और उनकी पढ़ाई की शैली के कारण लाखों छात्र उनके फॉलोअर्स हैं. अफसर ने कहा, 2020 में यूपीएससी के नतीजे के बाद, विकास ने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल का नाम बदलकर ’विकासदुबेआईपीएस’ कर दिया और यूपीएससी में अपने चयन का ऐलान करते हुए 'चयनित उम्मीदवारों की सूची’ को अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर भी पोस्ट कर दिया. इस लिस्ट में विकास दुबे नाम का पहले से ही कोई उम्मीदवार मौजूद था. इसके बाद विकास ने उस फर्जी इंस्टाग्राम प्रोफाइल के जरिए कई हाई प्रोफाइल हस्तियों के संपर्क में आ गया. वर्तमान में उसके फर्जी इंस्टाग्राम आईडी पर उसके 19,700 फॉलोअर्स हैं. वह खुद को प्रशिक्षु आईपीएस बताकर पीड़ितों से पैसे लेकर उसका काम करवाने के नाम पर ठगी करने लगा.
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