Madhya Pradesh News: UGC के निर्देशों की अवहेलना करना देश के 421 और मध्य प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को भारी पड़ गया.  यूजीसी ने ऐसे सभी विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया है, जिसमें मध्य प्रदेश के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय  समेत कई विश्वविद्यालय भी शामिल हैं. यूजीसी ने इन सभी विश्वविद्यालयों को लोकपाल की नियुक्ति करने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन विश्वविद्यालय के प्रबंधन के द्वारा लापरवाही बरती गई और लोकपाल की नियुक्तियां नहीं की गई. जिसके बाद UGC ने गंभीर लापरवाही बरतने की वजह से मध्य प्रदेश के 18 विश्वविद्यालय समेत 421 विश्वविद्यालयों  को डिफाल्टर घोषित कर दिया है.


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वहीं, इस मामले पर अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा के कुल सचिव डॉक्टर सुरेंद्र सिंह परिहार ने सफाई देते हुए बताया कि 14 जून 2023 को यूजीसी के निर्देशन पर मध्य प्रदेश शासन का एक लेटर अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को मिला था. जारी लेटर के मुताबिक एक महीने के अंतराल में विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति की जानी थी.


यूजीसी के मुताबिक, शिकायतों के निराकरण के लिए विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति किए जाने का प्रावधान है, लेकिन इस एक महीने के अंतराल में विश्वविद्यालय मेनेजमेंट ने पहली बार 4 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया था, लेकिन एक भी एप्लीकेशन प्राप्त नहीं हुए.


लोकपाल बनने की क्या है पात्रता?
लोकपाल पोजिशन के लिए जो पात्रता UGC शासन ने जारी की थी. वह रिटायर्ड प्रोफेसर, रिटायर्ड वाइस चांसलर, रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज की थी जिसके आवेदन प्राप्त नहीं हो सके. इसी के चलते तय तारीख में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाई है .


कुल सचिव ने की ये मांग
वहीं,  इस पूरे मामले पर APSU के कुल सचिव शासन से गाइडेंस मांगने की बात कही है. कुल सचिव ने बताया कि इसके बाद शासन की तरफ से विश्वविद्यालय में एक बार फिर लोकपाल की नियुक्ति के लिए पत्र प्राप्त हुआ था. मैनेजमेंट के द्वारा 18 जनवरी 2024 को दोबारा विज्ञापन जारी किया था. लेकिन इसमें जनवरी महीने के पूर्व विधानसभा इलेक्शन की वजह से देरी हुई. अब अगर विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास आवेदन आते हैं, तो लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी. अगर आवेदन पत्र प्राप्त नहीं होते हैं तो शासन को पत्र लिखकर गाइड लाइन की मांग की जाएगी जिसके आधार पर लोकपाल की नियुक्ति की जा सकेगी.