अमरावतीः देश में बेराजगारी का आलम यह है कि चपरासी की नौकरी करने के लिए पीएचडी उम्मीदवार तक आवेदन कर रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारें युवाओं का रोजगार देने का वादा और दावा दोनों कर रही है. ताजा मामला दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश का है, जहां आम तौर पर यह माना जाता है कि उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण के राज्यों में बेरोजगारी दर थोड़ी कम होती है.
आंध्र प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल के पद पर भर्ती के लिए आवेदन करने वालों में कम से कम 10 पीएचडी डिग्री धारक उम्मीदवार हैं जबकि 930 एमटेक डिग्री धारक अभ्यर्थी भी इसमें शामिल हैं. इस पद पर भर्ती के लिए इतवार को लिखित परीक्षा होनी है. 

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5,284 एमबीए और 4,365 एमएससी उम्मीदवार 
राज्य स्तरीय पुलिस भर्ती बोर्ड के एक ऑफिशियल बयान के मुताबिक, कांस्टेबल पद के लिए जरूरी योग्यता 12वीं क्लास पास रखी गई है. लेकिन इस पद के लिए आए आवेदनों में की सूची में 5,284 एमबीए, 4,365 एमएससी और 94 एलएलबी डिग्री धारक शामिल उम्मीदवार शामिल हैं. बयान के मुताबिक, कांस्टेबल के 6,400 पदों की भर्ती के लिए 5,03,486 उम्मीदवारों में कुल 13,961 स्नातकोत्तर और 1,55,537 स्नातक उम्मीदवार शामिल हैं. इनमें से 3,95,415 पुरुष और 1,08,071 महिलाएं हैं. लिखित परीक्षा के माध्यम के लिए 3.64 लाख से ज्यादा आवेदकों ने तेलुगु, जबकि 1.39 लाख से ज्यादा ने अंग्रेजी और 227 ने उर्दू मीडियम को चुना है.


उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा सत्र के दौरान ही सरकार ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था कि सिर्फ केंद्र सरकार में ही पहले से सृजित पदों में लगभग 17 लाख पद खाली पड़े हैं. इसके अलावा देशभर के राज्यों में भी लाखों पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उन खाली पदों के विरूद्ध भर्तियां नहीं कर रही है. वहीं दूसरी तरफ हर साल देश में पढ़े-लिखे बेराजगार युवाओं की फौज खड़ी होती जा रही है. 


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