नई दिल्लीः उन्नाव आबरूरेजी मामले में पीड़िता ने दिल्ली की एक अदालत में अपील दायर कर सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर उसके हिफाजत में तैनात निजी सुरक्षा कर्मियों (पीएसओ) के जरिए मुबैयना तौर पर उत्पीड़न किए जाने की शिकायत की है. जिला और सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के जांच अधिकारी को हिदायत दी है कि वह इस मामले में मकामी पुलिस की मदद से एक प्रभाव आकलन रिपोर्ट दें. 

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लड़की और पुलिस दोनों ने की है एक दुसरे की शिकायत 
जज ने 31 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा, “शिकायतकर्ता की तरफ से याचिका दायर की गई है कि उसका और उसके परिवार के सदस्यों का न्यायालय के निर्देश पर तैनात किए गए पीएसओ के जरिए उत्पीड़न किया जा रहा है, यह इस संदर्भ में है कि वे उसे उसकी आजादी के मुताबिक जिंदगी जीने नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस की तरफ से एक सीलबंद लिफाफा भी हासिल हुआ है जिसमें शिकायतकर्ता और उसके परिवार के लोगों के बारे में कुछ इल्जाम लगाए गए हैं. सत्र न्यायाधीश ने कहा, “यह हिदायत दी जाती है कि इस अर्जी पर गौर करने के लिए इसे कबूल किया जाए. 

विधायक ने लड़की का किया था जिस्मानी इस्तेहसाल 
पीड़ित लड़की के साथ भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के जरिए 2017 में अगवा कर उसके साथ उस वक्त असमतदरी की गई थी, जब वह नाबालिग थी. इस मामले की जांच को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित कर सीबीआई को सौंप दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त 2019 को हिदायत दी थी कि मजलूम लड़की, उसकी मां और खानदान के दीगर सदस्यों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तरफ से सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

मुजरिम सेंगर को सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा 
सेंगर को इस मामले में 20 दिसंबर 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सेंगर, उसके भाई और पांच दीगर अफराद को चार मार्च 2020 को न्यायिक हिरासत के दौरान पीड़िता के पिता की मौत के लिए कसूरवार ठहराते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. 


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