अयोध्याः उत्तर प्रदेश के अयोध्या के भरतकुंड (Ayodhya Bharatkund) में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Aditya Nath) की एक मूर्ति और उनका एक मंदिर बनाया गया है, जिसमें उन्हें भगवान राम के अवतार में दिखाया गया है. मंदिर का नाम श्री योगी मंदिर (Shri Yogi Mandir) रखा गया है, जहां दिन में दो बार पूजा की जाती है. पूजा के बाद भक्तों को 'प्रसाद’ भी बांटा जाता है. मुख्यमंत्री के लिए एक आरती की भी रचना की गई है, जिसका पाठ रोजाना किया जाता है. आरती भी उस शख्स ने लिखी है जिसने इस मंदिर को बनवाया है. मूर्ति में सीएम योगी को हाथ में धनुष और कंधे पर बाण धारण किए हुए दिखाया गया है. मूर्ति को भगवा वस्त्र धारण कराया गया, जो योगी आदित्यनाथ पहना करते हैं.  

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अयोध्या-गोरखपुर राजमार्ग पर बनाया गया है मंदिर 
मंदिर अयोध्या-गोरखपुर राजमार्ग पर भरतकुंड के पास अयोध्या से लगभग 15 किमी की दूरी पर बनाया गया है. ऐसा माना जाता है कि भरतकुंड वह जगह है जहां भगवान राम के भाई भरत ने उन्हें वनवास में जाने से पहले विदाई दी थी. गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर योगी आदित्यनाथ हमेशा से मुखर रहे हैं. उन्होंने अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के ’गर्भ गृह’ की भी आधारशिला रखी थी. 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी और तब से मंदिर का निर्माण कार्य लगातार चल रहा है. 

कौन हैं योगी मंदिर बनवाने वाला शख्स, हर माह कमाता है इतना रुपया 
योगी मंदिर की तामीर करवाने वाले एक प्रभाकर मौर्य नाम के शख्स ने बताया कि उन्होंने आयोध्या में राम मंदिर की संकल्पना को साकार करने वाले इंसान के लिए एक मंदिर बनाना चाहते थे. उन्होंने कहा, ’’सीएम योगी जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे मैं खुश हूं. मैंने संकल्प किया था कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने वाले के नाम पर मैं मंदिर बनाऊंगा. मैंने श्री योगी मंदिर बनाकर आज अपना संकल्प पूरा किया है. मौर्य ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के कार्यों से बहुत प्रभावित हैं. उन्होंने कहा, ’मुख्यमंत्री ने जिस तरह से जनकल्याणकारी कार्य किए हैं, उन्हें देवता तुल्य स्थान प्राप्त हुआ है.’’ मौर्य ने कहा कि वह बेरोजगार और भूमिहीन हैं, लेकिन यूट्यूब पर भजन और धार्मिक गीत पोस्ट करके हर महीने लगभग 1 लाख रुपये कमाते हैं. इसी पैसे से उन्होंने मंदिर बनवाया है.

गौरतलब हे कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (अब सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 9 नवंबर, 2019 को सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया था कि अयोध्या में जहां बाबरी मस्जिद थी, वह भूमि राम मंदिर था और इस जमीन के बदले में बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी को पांच एकड़ भूमि कहीं और देने का फैसला दिया था. 


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