कितने पढ़े-लिखे हैं उत्तर प्रदेश के मदरसा के शिक्षक; योगी सरकार करेगी जांच
यूपी में अधिकारियों को शिक्षकों की एज्युकेशनल क्वालिफिकेशन को चेक करने के आदेश दिए गए हैं, और साथ ही साथ राज्य वित्त पोषित मदरसों में सभी सुविधाओं की जांच करने का निर्देश भी दिया गया है.
शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने अधिकारियों को मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की एजूकेशनल क्वालिफिकेशन और बुनियादी सुविधाओं की स्थिति पर गौर करने का आदेश दिया गया है. सभी राज्य-वित्त पोषित मदरसों में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, और कितना ठीक तरह से काम कर रहे हैं की नहीं इस बात को भी चेक करने के निर्देश दिए गये हैं. इस में आदेश के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिकार अहमद जावेद ने कहा कि इस तरह की पूछताछ एक "नियमित प्रक्रिया" बन गई है, जिससे इन शैक्षणिक संस्थानों की शैक्षिक गतिविधियों और कामकाज में व्यवधान पैदा हो रही है. साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा की"जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच एक बार ठीक से होनी चाहिए ताकि भविष्य में मदरसों में काम पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.
क्या दिए गए आदेश?
1 दिसंबर को, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक ने सभी मंडलीय उपनिदेशकों और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मदरसों में मूलभूत सुविधाओं और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करें, ताकि नामांकित छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. उस पत्र में छात्रों में वैज्ञानिक, दिलचस्प और खोजपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करने और उन्हें मुख्यधारा में एकीकृत करने की जरूरत पर जोर दिया गया है और साथ ही साथ उस पत्र में यह भी कहा गया कि राज्य सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के शैक्षिक रिकॉर्ड की जांच भी होनी चाहिए, साथ ही मदरसा भवनों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की जांच भी नियमित तौर पर होनी चाहिए. पत्र में यह भी कहा गया कि जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट को 30 दिसंबर तक मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को सौंपा जाए.
जांच के लिए कमेटी का किया गया गठन
आपको बता दें की उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 25,000 मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से 560 राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त हैं. लिखे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य के मदरसों में अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण, वैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा नहीं दी जा रही है. इसके परिणामस्वरूप, विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर नही मिल रहे हैं. इसे में मदरसों की ठीक तरह से जांच के लिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और जिलाधिकारी की एक कमेटी बनाई गई है. इसके अलावा, राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त 20 से अधिक मदरसे वाले जिलों में कार्य को शीघ्र पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त समिति का गठन किया जाएगा.
क्या प्रतिक्रिया दी मदरसा शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष जावेद ने
इस मुद्दे पर यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जावेद ने कहा कि उन्हें पत्र का पता था और कहा कि ऐसी किसी भी जांच से आगामी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी बाधित होगी. सितंबर में हुई बोर्ड बैठक में, उन्होंने कहा कि इस जांच को लेकर कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं दिया गया था, और आदेश जारी करने से पहले उन्हें कोई जानकारी भी नहीं दी गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों की जांच करना स्वतंत्र है और एसी जांच अब नियमित हो गयी हैं जिसके कारण कामकाज पर काफी प्रभाव पड़ता है. उनका यह भी कहना है की आगामी फरवरी में मदरसों में बोर्ड परीक्षाएं होनी हैं ऐसे में एक अतिरिक्त जांच तैयारियों को बाधित करेगी. राज्य के सभी मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पिछले साल भी सर्वे कराया गया था, लेकिन उस रिपोर्ट की कोई कार्रवाई नहीं की गई "ऐसे में अब नई जांच शुरू करने के फिर आदेश दिए गए हैं.
आपको बता दें पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार ने राज्य के सभी मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की सख्त जांच की, जिसमें लगभग 8,000 मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त पाए गए. इतना ही नही 2017 में राज्य के सभी मदरसों को मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर शिक्षकों सहित अन्य विवरणों को अपलोड करने के लिए भी कहा गया था. सभी मान्यता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों के शैक्षिक रिकॉर्ड बोर्ड के रिकॉर्ड में मौजूद हैं. इसे में जावेद ने यह भी कहा की उन्हें जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जांच एक बार ठीक से होनी चाहिए ताकि मदरसों के काम पर भविष्य में ध्यान केंद्रित किया जा सके. परीक्षा की तैयारी के दौरान मदरसों में कोई जांच नहीं होनी चाहिए