Rampur By Election: समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर आज़म ख़ान अपने सियासी जीवन के मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं. आज़म ख़ान का आख़िरी क़िला ढहाने के लिए बीजेपी उनके सबसे मज़बूत वोट बैंक यानी पसमांदा मुस्लिम वोटर्स में सेंध लगाने की पूरी कोशिश कर रही है. सत्तारूढ़ बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को सरकारी योजनाओं का लाभार्थी वर्ग मानकर यूपी में जगह-जगह सम्मेलन कर रही है. इसे बीजेपी की सियासी हिकमते अमली का हिस्सा माना जा रहा है जिसका मरकज़ इस वक़्त रामपुर असेंबली हल्क़ा बन चुका है. 


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रामपुर में 5 दिसंबर को वोटिंग
हेड स्पीच देने के मामले में आज़म ख़ान को तीन साल की सज़ा सुनाए जाने के बाद उनकी मेंबरशिप ख़त्म किए जाने की वजह से इस सीट के लिए उपचुनाव हो रहा है. इसके तहत पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. सियासी पार्टियों से मिले आंकड़ों के मुताबिक़ रामपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल तीन लाख 88 हज़ार वोटर्स हैं, उनमें से तक़रीबन दो लाख 27 हज़ार यानी लगभग 60 फीसद मुस्लिम हैं. इनमें से तक़रीबन 80 हज़ार पठान, 18 हज़ार सैयद और 12 हज़ार तुर्क वोटर्स को छोड़ दिया जाए तो बाक़ी एक लाख 17 हज़ार वोटर्स पसमांदा यानी पिछड़े वर्ग के हैं.


बीजेपी ने आज़म ख़ान पर साधा निशाना
बीजेपी पिछड़े वर्ग के वोटर्स को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है. उसकी इस कोशिश को इस बात से ताक़त मिल रही है कि मुसलमानों का यही तबक़ा सरकारी योजनाओं का सबसे बड़ा लाभार्थी है. यह वर्ग कई पीढ़ियों से आज़म खां का मतदाता भी रहा है. उत्तर प्रदेश के वज़ीर दानिश आजाद अंसारी कहते हैं कि "आज़म ख़ान ने रामपुर के भोले-भाले मुस्लिम तबक़े को अपनी लच्छेदार तक़रीरों में उलझा कर उनके वोट हासिल किए लेकिन सक्षम होने के बावजूद उनकी ज़िंदगी बेहतर करने के लिए कुछ भी नहीं किया". अब देखना यह होगा कि बीजेपी पिछड़े वर्ग के वोटर्स को अपनी तरफ़ खींचने में कामयाबी होगी या नहीं. बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और रामपुर के पूर्व सांसद मुख़्तार अब्बास नक़वी को भी मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए मैदान में उतारा है.


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