Shramjeevi bomb blast 2005: यूपी के जौनपुर जिले में 18 साल पहले हुए श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट में दो आतंकियों को कोर्ट ने फाँसी की सज़ा सुनाई है. साथ ही दोनों दोषियों पर कोर्ट ने 5 -5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. साल 2005 में हुए कांड के मुल्जिम बांग्लादेशी नागरिक हिलालुद्दीन व पश्चिम बंगाल के रहने वाले नफीकुल विश्वास को दोषी करार दिया था. अब बुधवार को एडिशनल सेशन जज राजेश कुमार राय ने ये फैसला सुनाया.


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दोनों मुल्जिमों को आज जौनपुर के डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया गया. वहीं, कोर्ट ने  शाम 4 बजे सज़ा का ऐलान किया. बता दें कि इससे पहले साल 2016 में दोनों मुल्जिमों हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन और नफीकुल विश्वास को हैदराबाद जेल से जौनपुर अदालत में तलब किया गया था.


2 आतंकियों को पहले ही हो चुकी है सजा-ए-मौत
इस कांड में दो आतंकियों बांग्लादेशी नागरिक आलमगीर उर्फ़ रोनी और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य ओबेदुर्रहमान को अदालत ने इससे पहले 31 अगस्त 2016 को फांसी की सजा सुनाई थी. रोनी को ट्रेन के डब्बे में बम रखने के लिए दोषी करार दिया गया था जबकि ओबेदुर्रहमान को बम बनाने के लिए दोषी पाया गया था. हालांकि, दोनों दोषियों ने हाई कोर्ट में अपील डाल रखी है.


 ब्लास्ट में 14 लोगों की गई थी जान
28 जुलाई साल 2005 को जौनपुर जिले के सिंगरामऊ रेलवे स्टेशन के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के नजदीक श्रमजीवी एक्सप्रेस ( ट्रेन नंबर- 12391 ) की जनरल डब्बे में एक जोरदार धमाका हुआ जिसमें 15 लोगों की मौत गई और 62 लोग जख्मी हो गए. ये ट्रेन पटना से दिल्ली जा रही थी. वहीं, ट्रेन के गार्ड जफर आलम की तहरीर पर GRP थाने में केस दर्ज हुआ था. दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकियों के मुताबिक इस बम ब्लास्ट की साज़िश जुलाई 2005 में रची गई थी.
   
सरकारी वकील ने की थी मांग
जौनपुर के सरकारी वकील  सतीश कुमार पाण्डेय ने बताया कि श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट के मामले में बुधवार को बांग्लादेशी आतंकी हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल के रहने वाले नफीकुल विश्वास को 22 दिसम्बर को दोषी करार दिया गया था. हालांकि, कोर्ट ने दोनों मुल्जिमों पर सजा तय करने की तारीख  2 जनवरी 2024 तय की थी. इस दौरान दोनों पक्षों ने सज़ा पर अपना अपना पक्ष रखा था. लेकिन सरकारी वकील ने जज से मौत की सज़ा की मांग की थी,  जिसपर कोर्ट ने आज फैसला सुनाया.