Uttarakhand Muslim News: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में फरवरी 2024 में हुए दंगों के मुल्जिम दो लोगों को बुधवार को 'डिफॉल्ट' (निर्धारित अवधि में आरोप-पत्र दायर नहीं होने पर) जमानत दे दी. जज मनोज तिवारी और जज पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने दंगों के सिलसिले में कई दूसरे लोगों के साथ मुल्जिम अरशद अयूब और जावेद सिद्दीकी को जमानत दी.


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हाई कोर्ट ने दी 50 लोगों को जमानत
इस मामले में पहले ही सुनवाई हो चुकी थी. अदालत ने दो जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में 90 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं किए जाने पर 50 दूसरे मुल्जिमों ने 29 अगस्त, 2024 को हाई कोर्ट से डिफॉल्ट जमानत हासिल कर ली.


मुख्य आरोपी पर फंसा पेंच
इससे पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 2 जनवरी को बनभूलपुरा दंगों के अहम मुल्जिम अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी को अधीनस्त अदालत में भेज दिया था. हाई कोर्ट ने अधीनस्त अदालत से 4 हफ्ते के अंदर फैसला लेने को कहा था. इसके बाद मुल्जिम की तरफ से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा था कि इस मामले में सुनवाई करने और जमानत देने का हक महज हाई कोर्ट को है. सलमान खुर्शीद ने कहा कि 8 फरवरी को जब दंगा हुआ तब अब्दुल मलिक वहां मौजूद नहीं थे. 


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सरकारी वकील ने दी दलीद
उत्तराखंड सरकार की तरफ से पेश हुए वकील आर. बसंत ने कहा कि भले ही सिद्दीकी मौके पर मौजूद नहीं थे, लेकिन वह दंगे के साजिशकर्ता हैं और वह मामले को कंट्रोल कर रहे थे. उन्होंने तर्क दिया कि इसीलिए मुल्जिम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि अधीनस्थ अदालत को हर पहलू को देखना है, इसलिए वही अदालत अर्जी पर जवाब देगी.


क्या है हल्द्वानी दंगा मामला?
आपको बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में 7 जनवरी को नागरिक संहिता लागू किया गया. इसके एक दिन बाद यानी 8 जनवरी को हल्द्वानी के मुस्लिम इलाके बनभूलपुरा में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया. यहां पर एक कथित गैर कानूनी मदरसा और उसके परिसर में नमाज पढ़ने के लिए बनाए गए एक छोटे ढांचे को गिराए जाने की कार्रवाई शुरू की गई. इसके बाद दंगे भड़क गए. इस दांगे में 6 लोगों की मौत हो गई. खबरों के मुताबिक ड्यूटी पर तैनात तकरीबन 100 पुलिस वालों की मौत हो गई.