नई दिल्लीः भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ सिर्फ कागजों पर स्पीड चलती है. वास्तविकता ये है कि ट्रेन की औसत स्पीड भारत में पहले से चल रही तेज गति की ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस से भी कम है.  
गौरतलब है कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की स्वीकार्य स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन पटरियों की खराब हालत की वजह से यह पिछले दो साल से औसतन करीब 83 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पाई है. यह जानकारी आरटीआई के तहत पूछे गये एक सवाल के जवाब में दी गई है. इस अवधि में ट्रेन एक मार्ग पर औसत 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी दौड़ी है, लेकिन ये औसत स्पीड नहीं है. 


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दो सालों में घट गई स्पीड 
उल्लेखनीय है कि इस ट्रेन को अधिकतम 180 किलोमीटर प्रति घंटे की क्षमता के साथ बनाया गया है, और व्यावसायिक सेवाओं के लिए इसकी स्वीकार्य मैक्सिमम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है. मध्य प्रदेश निवासी चंद्रशेखर गौर ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी थी और उन्हें बताया गया कि सेमी हाई-स्पीड ट्रेन की औसत गति 2021-22 में 84.48 किलोमीटर प्रति घंटा थी, वहीं 2022-23 में यह 81.38 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई थी.


सबसे तेज और सबसे कम स्पीड 
मुंबई सीएसएमटी-साईनगर शिर्डी वंदे भारत एक्सप्रेस की औसत स्पीड सबसे कम है और यह लगभग 64 किलोमीटर प्रति घंटा है, वहीं सबसे तेज औसत गति नई दिल्ली-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस की है. यह ट्रेन 95 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत स्पीड से पटरियों पर दौड़ती है. 2019 में शुरू की गई यह देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन है. इसी तरह रानी कमलापति (हबीबगंज)-हजरत निजामुद्दीन वंदे भारत एक्सप्रेस 94 किमी प्रति घंटे की औसत स्पीड के साथ दूसरे स्थान पर है.

क्या कहते हैं अफसर? 
अफसरों के मुताबिक, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की औसत स्पीड राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों से बेहतर है. रेलवे के एक अफसर ने कहा, ‘‘यह बात समझनी होगी कि परिवहन का कोई भी साधन अपनी पूरी यात्रा में अधिकतम स्पीड बनाकर नहीं रख सकता है. यह जिस सतह पर चल रहा है, उसके हालत में बहुत कुछ निर्भर करता है. प्रत्येक खंड में वंदे भारत ट्रेन की औसत गति उस खंड में चलने वाली सबसे तेज ट्रेन से ज्यादा है. उदाहरण के लिए यह आगरा कैंट और तुगलकाबाद के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्वीकार्य रफ्तार से दौड़ती है.’’ वंदे भारत एक्सप्रेस को अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) ने डिजाइन किया है, और इसका निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में किया गया है.


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