Vinesh Phogat Case: कौन हैं हरीश साल्वे, जो लड़ रहे हैं विनेश फोगाट का केस?
Vinesh Phogat Case: विनेश फोगाट का केस हरीश साल्वे लड़ रहे हैं, आपको जानकर हैरानी होगी कि हरीश ने कई बड़े केस लड़े हैं. जिनमें से एक कुलभूषण यादलव का भी मामला है.
Vinesh Phogat Case: विनेश फोगाट के लिए पूरा भारत दुआएं कर रहा है, उनका मामला सीएएस में है और अगर वह जीतती हैं तो उन्हें सिल्वर मेडल से नवाज़ा जाएगा. अब पहलवान विनेश फोगट और एक अरब भारतीयों की उम्मीदें शीर्ष वकील हरीश साल्वे के कंधों पर टिकी हैं, जो कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में पहलवान के पेरिस ओलंपिक अयोग्यता मामले को लड़ने के लिए तैयार हैं.
कैन हैं हरीश साल्वे
भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और किंग्स काउंसल, साल्वे के पास हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने का एक शानदार रिकॉर्ड है. जिसमें इंटरनेशनल कोर्ट में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव का बचाव करने से लेकर साइरस मिस्त्री के खिलाफ रतन टाटा का प्रतिनिधित्व करना शामिल है.
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महाराष्ट्र के रहने वाले हैं साल्वे
भारत के प्रमुख वकीलों में से एक हरीश साल्वे का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था और उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की. नवंबर 1999 में भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने 1992 में दिल्ली उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्य किया.
पद्म भूषण से नवाज़ा गया
साल्वे को 2015 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. पिछले साल जनवरी में उन्हें वेल्स और इंग्लैंड की अदालतों के लिए रानी का वकील नियुक्त किया गया था. उनके कुछ शीर्ष ग्राहकों में टाटा समूह और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल हैं.
ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को बुधवार को गोल्ड मेडल मैच से पहले 100 ग्राम ज्यादा वजन पाए जाने के बाद आयोजकों ने अयोग्य घोषित कर दिया था. बाद में उन्होंने गुरुवार को एक दिल दहला देने वाली पोस्ट में कुश्ती से संन्यास की घोषणा की थी. उनके इस फैसले ने पूरे भारत को हिला दिया था, यहां तक तक की कई दिग्गजों ने उन्हें ये फैसला वापस लेने की अपील भी की थी.
कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट पहुंची फोगाट
अयोग्य घोषित होने के बाद फोगाट ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट जाने का फैसला किया था, और गुजारिश की थी कि उन्हें सिल्वर से नवाज़ा जाए. क्योंकि रूल्स बुक के मुताबिक अगर किसी एथलीट का वजन ज्यादा पाया जाता है तो उसे लिस्ट के आखिर में डाल दिया जाता है.