Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद और श्रंगार गौरी मंदिर विवाद पर अदालत 17 नवंबर यानी आज कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. 14 नवंबर को अदालत ने फैसला महफूज़ रख लिया था. इससे पहले 12 नवंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने कथित शिवलिंग की हिफाज़त को और आगे बढ़ा दिया था यानी अदालत ने ज्ञानवापी अहाते (परिसर) में जिस जगह पर 'शिवलिंग' मिलने की बात की गई थी, उस जगह पर अगले हुक्म तक सिक्योरिटी बढ़ा दी है. साथ ही अदालत ने कहा था कि कोई भी उसको नहीं छुएगा. 


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क्या है ज्ञानवापी मामला
सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट और वाराणसी की अदालतों में कई अर्ज़ियां लगाई गईं, जिनमें दावा किया गया कि 16वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर यहां ज्ञानवापी मस्जिद की तामीर करवाई थी. इस मामले में 1991 में स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी की अदालत में अर्ज़ी लगाई. इस अर्ज़ी में पुजारियों ने औरंगजेब वाली दलील दी और मस्जिद परिसर में पूजा करने की मांग की थी. 


2019 में वकील ने की सर्वे की मांग
इसके बाद साल 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद का फैसला सुनाया तो, वाराणसी के एक वकील ने विजय शंकर रस्तोगी ने निचली अदालत में अर्ज़ी लगाई और कहा कि मस्जिद की तामीर गैरकानूनी तरीके से हुई है. इसके अलावा उन्होंने सर्वे कराने की मांग भी रखी. जिसके बाद अदालत साल 2021 में ASI को हुक्म दिया कि वो मस्जिद का सर्वे करे और उसकी रिपोर्ट दाखिल करे.


मस्जिद कमेटी के विरोध के बाद हाई कोर्ट ने लगाई रोक
एडवोकेट विजय शंकर की तरफ से की गई सर्वे की मांग को अदालत ने मंजूरी दे दी लेकिन मस्जिद कमेटी (अंजुमन-ए-इंतेजामिया) और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इसके विरोध में हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. उन्होंने सर्वे कराए जाने के अदालत के फैसले का विरोध किया. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी. साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट, 1991 के मुताबिक 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक जगह जैसी थी वैसी ही रहेगी. उसके रिलीजियस कैरेक्टर को नहीं बदला जा सकता है.


➤ इसके बाद अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने वाराणसी की अदालत में अर्ज़ी लगाई और मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा करने की इजाज़त मांगी. यह महिलाएं दिल्ली की थी. 
➤ अप्रैल 2022 में सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफी का हुक्म दिया.
➤ हालांकि मस्जिद कमेटी ने इस हुक्म का हाई कोर्ट में चैलेंज कर दिया. साथ ही कुछ तकनीकी खामियों का भी हवाला दिया. हालांकि अदालत ने मस्जिद कमेटी की इस याचिका को खारिज कर दिया. 
➤ इसके बाद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से पहले 16 मई को सर्वे की रिपोर्ट फ़ाइल की गई और वाराणसी की अदालत ने मस्जिद के अंदर उस इलाक़े को सील करने का आदेश दिया, जहां 'शिवलिंग' होने की बात कही जा रही है. 
➤ इसके बाद अदालत ने कथित शिवलंग की हिफाज़त के लिए मस्जिद के वजू़खाने को सील करने का हुक्म दिया. हालांकि मस्जिद में नमाज़ जारी रखने का हुक्म भी दिया. 
➤ इसके बाद 20 मई को SC ने यह केस वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट भेज दिया और कहा कि तय किया जाए कि मामला आगे सुनवाई लायक है या नहीं.