What is Sengol: नई सरकार के गठन के बाद संसद का पहला सेशन शुरू हो गया है. इसी बीच देश में सेंगोल को लेकर सियासी बहस एक बार फिर छिड़ गई है.  समाजवादी पार्टी (SP) के MP आरके चौधरी ने न्यू पार्लियामेंट में लगे सेंगोल को हटाकर उसकी जगह पर संविधान की प्रति लगाने की मांग की है. अब उनकी इस मांग को सही बताते हुए राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने अपना समर्थन दिया है.


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राजद नेता ने कहा कि सेंगोल हमारा प्रतीक नहीं है. हमारा प्रतीक अशोक स्तंभ और बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर का संविधान है. सेंगोल दंडात्मक कार्रवाई का चिन्ह है. संसद दंड की जगह नहीं है, बल्कि विचार और विमर्श की जगह है. इसलिए हमें नहीं लगता है कि सेंगोल की जगह पार्लियामेंट है. उन्होंने कहा कि न्यू पार्लियामेंट से सेंगोल हटाने की जो सपान नेता ने मांग की है बिल्कुल जायज और सही है.


SP सांसद ने की थे सेंगोल हटानी की मांग
दरअसल, यूपी की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से सांसद आरके चौधरी ने पिछले दिन सेंगोल का विरोध किया था.  इस संबंध में उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखी,  जिसमें आरके चौधरी ने संसद में लगे सेंगोल को हटाकर संविधान की विशालकाय प्रति लगाने की मांग की.


उन्होंने लिखा, "मैं सदन की कुर्सी के दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया. महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पाक दस्तावेज है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है. मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए."


सेंगोल ( Sengol ) क्या है?
पीएम  नरेंद्र मोदी ने सेंगोल  को पिछले साल आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद में स्थापित किया था तब से लेकर ये चर्चा का विषय बना हुआ है. अब बात करते हैं सेंगोल क्या है? सेनगोल का मतलब गहरा है, जो तमिल शब्द "सेम्मई" से निकला है. सेंगोल का अर्थ है "धार्मिकता". सेंगोल की लंबाई 5 फीट है. इसके उपर चांदी और सोने की परत चढ़ी हुई है. इस राजदंड के टॉप पर एक गोलाकार आकृति है, जिसमें एक बैल बना हुआ है. पीआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक, बैल नंदी है यानी "न्याय" का प्रतीक. 


इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के उच्च पुजारियों का आशीर्वाद भी प्राप्त है. सेंगोल प्राप्तकर्ता के पास उचित और निष्पक्ष रूप से शासन करने का "आदेश" (तमिल में "आनाई") होता है. सेंगोल को पहली बार साल 1947 में वुम्मिडी बंगारू चेट्टी ज्वैलर्स (Vummidi Bangaru Chetty Jewellers) ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को गिफ्ट किया था. जानाकारी के अनुसार सेंगोल को वुम्मिडी सुधाकर (Vummidi Sudhakar) और वुम्मिडी एथिराजुलु (Vummidi Ethirajulu) ने बनाया था.