ग़ाज़ीपुर के स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल को अफज़ाल अंसारी और उनके भाई मुख़्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट से जुड़े एक मामले में दोषी करार दिया था. जिसमें सांसद अफज़ाल अंसारी को चार साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई थी. इसी केस में मुख़्तार अंसारी को दस साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी. दोनों भाइयों के ख़िलाफ़ ये मामला ग़ाज़ीपुर से बीजेपी के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और वाराणसी के कारोबारी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण और हत्या से जुड़ा हुआ है. कृष्णानंद राय की 29 नवंबर, 2005 को हत्या कर दी गई थी जबकि नंद किशोर रुंगटा का मामला साल 1997 का है. 


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क्या था पूरा मामला 
29 नवंबर 2005 मोहम्मदाबाद सीट से बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय पड़ोस के गांव में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के लिए अपने घर से निकले. उस दिन कृष्णानंद राय बुलेट प्रूफ गाड़ी की बजाय दूसरी गाड़ी में बैठे थे और उनके साथ उनके समर्थकों का काफिला भी था. वे क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर एक दूसरे गांव के लिए चल दिए. कुछ दूर आगे बढ़े थे कि रास्ते में एक एसयूवी से उतरे लोगों ने AK-47 लिए कृष्णानंद राय की गाड़ी को चारों तरफ से घेरकर गोलियां दागनी शुरू कर दी. कुछ मिनटों में ही करीब 500 राउंड गोलियां दागी गई. इस गोलीबारी में कृष्णानंद राय समेत सात लोग मारे गए और इसका आरोपी मुख्तार अंसारी था. इसके बाद 2007 में  कृष्णानंद राय की हत्या और एक कोयला व्यापारी के अपहरण के मामले में  मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी पर गैंगस्टर एक्ट में भी केस दर्ज हुआ . 
ग़ाज़ीपुर के स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने इस साल 29 अप्रैल को अफज़ाल अंसारी और उनके भाई मुख़्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट से जुड़े मामले में दोषी करार दिया था.
सांसद अफज़ाल अंसारी को चार साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई थी. इस केस में मुख़्तार अंसारी को दस साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी.


अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अब गैंगस्टर एक्ट के तहत पूर्व सांसद अफज़ाल अंसारी को कसूरवार ठहराए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कुछ शर्तों के साथ उनकी सज़ा पर रोक लगा दी है.जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने अफज़ाल अंसारी की सज़ा पर रोक लगाते हुए कहा कि वे लोकसभा में वोट नहीं कर सकेंगे और न ही कोई भत्ता ले सकेंगे लेकिन वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं.


साथ ही अफज़ाल अंसारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को ये भी निर्देश दिया कि कसूरवार ठहराए जाने के फ़ैसले और सज़ा के ख़िलाफ़ उनकी क्रिमिनल अपील पर 30 जून, 2024 तक सुनवाई पूरी की जाए