नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान कहा है कि देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का वक्त आ गया है. अब ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? तो आइए हम समझाते हैं. 


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दरअसल संविधान के पार्ट-4 में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत का जिक्र है. संविधान के आर्टिकल 36 से 51 के ज़रिए राज्य को अलग-अलग अहम मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं और उम्मीद की गई है कि स्टेट अपनी नीतियां तय करते हुए इन नीति निर्देशक तत्वों को ध्यान में रखेंगी. इन्हीं में आर्टिकल 44 राज्य को मुनासिब वक्त आने पर सभी मज़हबों लिए 'समान नागरिक संहिता' (Uniform Civil Code) बनाने की हिदायत देता है. 


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इस मुद्दे पर एक लंबे अरसे से बहस होती आई है. समान नागरिक सहिंता (Uniform Civil Code) का मतलब मुल्क के हर शहरी के लिए एक जैसा कानून होता है, भले ही वह शख्स किसी मज़हब या तबके का हो. लेकिन हिंदुस्तान में अभी तक ऐसा नहीं हो सका है. खासकर शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के लिए मुल्क विभिन्न मजहबों के लिए अलग-अलग कानून हैं. इस अलग कानून को पर्सनल लॉ कहते हैं. 


केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार बनने के बाद से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) की चर्चा जोर पकड़ गई. सरकार ने 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से धारा धारा 370 को खत्म किया था तो इसी दौरान समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू किए जाने की उम्मीद भी बढ़ गई और तब से इस बात उम्मीद जाहिर की जा रही है कि देश में जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जा सकता है. 


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