पटनाः बिहार में अभी विधानसभा चुनाव को दो साल बचे हैं. महागठबंधन जहां अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए जातीय समीकरण साध रहा है, वहीं, भाजपा भी राज्य में सरकार बनाने के लिए अभी से अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है. इसी का नतीजा है कि भाजपा ने बिहार में कुर्मी जाति से ताल्लुक रखने वाले सम्राट चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, और अभी से चौधरी को भाजपा की तरफ से सीएम के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है. सम्राट को कुर्मी जाति से ताल्लुक रखने वाले बिहार के सीएम और जदयू नेता नीतीश कुमार के काउंटर के तौर पर पेश किया जा रहा है. सम्राट चौधरी के नाम पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह के बयान के बाद से सम्राट चौधरी को लेकर बिहार की सियासत और खासकर भाजपा नेतृत्व में अभी से हलचल मचने लगी है. 


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दरअसल, भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के लिए मंगलवार को  बिहार के बेगूसराय में एक अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस प्रोग्राम में केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह भी मौजूद थे. इस दौरान गिरिराज सिंह ने लोगों से सम्राट चौधरी के मुख्यमंत्री चेहरा होने को लेकर वहां मौजूद लोगों से नारे लगवाए. गिरिराज सिंह ने पूछा, "बिहार का सीएम कौन?’’ इसके जवाब में वहां मौजूद लोगों ने जवाब दिया 'सम्राट चौधरी, सम्राट चौधरी'." इसके बाद सिंह ने कहा कि बिहार में भी योगी जैसा सीएम चाहिए.

क्या कहता है जातीय समीकरण 
गौरतलब है कि बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में भाजपा की तरफ से सीएम चेहरा को लेकर नारेबाजी करने के कई मायने निकाले जाने लगे हैं. कहा यह भी जा रहा है कि यह भाजपा की एक रणनीति का हिस्सा हो सकता है. इस बयान को बिहार में सत्ता हासिल करने के जातीय समीकरण से देखें तो राज्य में ओबीसी वोट बैंक में यादवों के बाद सबसे ज्यादा संख्या कुर्मी और कोइरी जातियों का है. यादवों की आबादी जहां तकरीबन 15 फीसदी है, वहीं कुर्मी और कोइरी दोनों मिलाकर लगभग सात फीसदी आबादी है. कुर्मी और कोइरी में भी कोइरी की आबादी थोड़ी ज्यादा है. ऐसे में राजद के यादव वोट बैंक का मुकाबला अगर किसी भी पार्टी को करना है, तो उसमें कुर्मी और कोइरी वोट बैंक को अपने पाले में करना बेहद जरूरी है. चौधरी कोइरी समाज से आते हैं. इससे पहले जदयू और रालोसपा के पूर्व नेता उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा पहले ही अपने खेमे में ले चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है कि ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा अभी से राज्य में नीतीश कुमार के कोईरी-कुर्मी वोट बैंक को तोड़ने की रणनीति बना रही है. 

शाहनवाज या राय भी हो सकते हैं उम्मीदवार 
वहीं, बिहार की राजनीति की समझ रखने वाले यह भी मानते हैं कि भाजपा इस तरह के प्रयोग करती रहती है. वह लोगों का रिएक्शन माप रही है. अगर भाजपा आने वाले चुनाव के वक्त राज्य में शाहनवाज हुसैन जैसे किसी मुस्लिम नेता या केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को भी राज्य में सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर दे, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी. राज्य में मुस्लिम वोटर्स की आबादी लगभग यादवों जितनी ही है. ऐसे में राजद के इन दोनों वोट बैंक को तोड़ने के लिए भाजपा किसी भी हद तक जा सकती है.  

सामूहिक नेतृत्व का हम स्वागत करेंगेः भाजपा 
हालांकि, विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय सिन्हा से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी सामूहिक नेतृत्व से चलती है. यहां पर मोदी और योगी जैसे लोग बड़े ही तप-तपस्या से निकलते हैं.लोग उन्हें स्वीकार भी करते हैं. भाजपा के किसी भी कार्यकर्ता का सपना साकार हो सकता है. यहां बूथ स्तर का कार्यकर्ता भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनता है. यहां विवाद की कोई गुंजाईश नहीं है." सिन्हा ने  कहा कि सामूहिक नेतृत्व जिसे मुख्यमंत्री तय कर देगा, उसका हम सभी लोग स्वागत करेंगे.


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