Asaduddin Owaisi on PM Modi: भारत के सभी प्रधानमंत्री हर साल अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाते रहे हैं. इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरण रिजिजू को अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाने के लिए भेजा है. इस पर राजनीति गरमा गई है. AIMIM चीफ और हैदराबाद से लोकसभा सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजने पर टिप्पणी दी है.


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ओवैसी का हमला
ओवैसी ने कहा, "पूरे मुल्क में बीजेपी, संघ परिवार और उनके हर संगठन कोर्ट में जाकर कह रहे हैं कि यहां खुदाई होनी चाहिए, यहां खुदाई होनी चाहिए, यह मस्जिद नहीं है, यह दरगाह नहीं है. यह कब्रिस्तान नहीं है. अगर प्रधानमंत्री चाहें तो ये सब बंद हो जाएगा. सिर्फ चादर भेजने से कोई फायदा नहीं होगा, आप चादर भेज रहे हैं लेकिन आपके ही अनुयायी कोर्ट जाकर कह रहे हैं कि ख्वाजा की दरगाह दरगाह नहीं है."


केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू पीएम मोदी की ओर से चादर चढ़ाने अजमेर शरीफ गए हैं. रिजिजू ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 'इस पवित्र अवसर पर हम देश में अच्छा माहौल बनाना चाहते हैं. यह हमारे देश की पुरानी परंपरा है. उर्स के दौरान मुझे अजमेर दरगाह जाने और प्रधानमंत्री की ओर से गरीब नवाज को चादर चढ़ाने का जो अवसर मिला, उसमें प्रधानमंत्री का भाईचारे का संदेश छिपा है."


कौन हैं मोइनुद्दीन चिश्ती 
मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ईरान के संजर (सिस्तान) में हुआ था. ख्वाजा अपने समय के प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा उस्मान हारूनी के शिष्य थे और 1192 में वे पहले लाहौर, फिर दिल्ली और फिर अजमेर पहुँचे. इससे पहले उन्होंने बगदाद और हेरात होते हुए कई बड़े शहरों में सूफियों से आशीर्वाद प्राप्त किया था. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उस समय हिंदुस्तान पहुँचे जब शहाबुद्दीन गौरी और पृथ्वीराज के बीच तराइन की लड़ाई के बाद मुस्लिम शासन की शुरुआत हो रही थी.