Why muslims wear caps: मुसलमान अलग-अलग फिरको में बटे हुए हैं, लेकिन सब में एक बात कॉमन है वह है नमाज और कुरान शरीफ पढ़ने के दौरान टोपी लगाना. हालांकि इसके अलावा भी मुसलमान टोपी लगाते हैं. ऐसे में लोगों के मन में सवाल रहता है कि आखिर मुसलमान टोपी क्यों लगाते हैं? इसको लेकर अलग-अलग बातें प्रचलन में हैं. कुछ लोगों का कहना है कि एहतराम यानी सम्मान दिखाने का एक तरीका है तो वहीं कुछ लोग इसे भूगोल से भी जोड़ते हैं. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस्लाम मिडिल ईस्ट से फैलना शुरू हुआ और वहां गर्मी होने के कारण टोपी पहनने का रिवाज था, इसके अलावा साफे का भी इस्तेमाल होता था. आखिर इसके पीछे की क्या वजह है, चलिए जानते हैं.


मुसलमान क्यों पहनते हैं टोपी?


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धार्मिक जानकारों की माने तो टोपी पहना इस्लाम में फर्ज यानी जरूरी नहीं है. यहां तक की नमाज और दूसरे फर्ज अदा करने के दौरान भी इसे वाजिब (जरूरी) नहीं बताया गया है. टोपी पहनना सुन्नत है और नामज का कुरान शरीफ की तिलावत करने के दौरान इसे पहनना शिष्टाचार माना जाता है. अगर कोई  नमाज के दौरान टोपी नहीं पहनता है तो उसकी नमाज इनवैलिड नहीं मानी जाएगी. वहीं अगर कोई शख्स फैशन के कारण नमाज में टोपी नहीं पहनता है तो उसकी नमाज मकरूह मानी जाएगी.


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सिर्फ मुसलमानों में ही नहीं है सिर ढकने का रिवाज


आपको जानकारी के लिए बता दें सिर्फ मुसलमानों में ही टोपी या साफे से सिर ढकने का रिवाज है. कई धर्मों में सिर ढकने को अलग तर्जी दी गई है. जैसे ईसाई धर्म में पोप सिर टोपी से ढकते हैं. जिसे अच्छा माना जाता है. वहीं सिखों में पग पहनना एक पुण्य का काम समझा जाता है.


आपको जानकारी के लिए बता दें इस्लाम धर्म में नमाज और कुरान शरीफ की तिलावत के दौरान टोपी पहनते हैं. इसके अलावा मजहबी इजलास यानी धार्मिक सभाओं के दौरान भी लोग टोपी पहनते हैं. इस्लाम धर्म में मजहबी रहनुमा अकसर टोपी या फिर साफा पहने दिख जाते हैं.