NASA New Moon Mission: चंद्रमा पर इंसानों के बसने का इंतजाम और इंतजार लंबे समय से किया जा रहा है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए चंद्रमा तक गैस पाइपलाइन बिछाने का मिशन शुरू करने का फैसला किया है.
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NASA Moon Mission: अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा एक नया मून मिशन शुरू करने की तैयारी में है. यदि मिशन सफल रहा हो तो चंद्रमा पर मानव बस्ती बसाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. इस प्रोजेक्ट के तहत नासा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन गैस पाइपलाइन बिछाएगा. नासा ने इस प्रोजेक्ट को आर्टेमिस नाम दिया है. हालांकि यह मिशन बहुत महंगा साबित हो सकता है. लेकिन इससे चंद्रमा पर मौजूद संसाधनों का उचित उपयोग करने में सफलता मिल सकती है.
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चांद की बर्फ से निकालेंगे पानी
नासा आर्टेमिस प्रोजेक्ट के तहत लूनर साउथ पोल ऑक्सीजन पाइपलाइन (L-SPOP) बिछाएगा. इसके लिए नासा चांद की रेगोलिथ से ऑक्सीजन और चांद की बर्फ से पानी निकालने की तकनीक विकसित करने में इन्वेस्टमेंट कर रहा है. फिर नासा गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट में निवेश करेगा.
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कंटेनर में भरकर ऑक्सीजन भेजेंगे
साल 2026 तक नासा आर्टेमिस प्रोजेक्ट के तहत गैस पाइपलाइन मिशन को पूरा करने का लक्ष्य तय कर सकता है. इस प्रोजेक्ट के लिए नासा ने ऑक्सीजन को बोतलबंद करने और तरल रूप में स्टॉक करने का काम शुरू कर दिया है. फिर अपनी योजना के अनुरूप वह इन कंटेनरों को चंद्रमा की सतह पर ले जाएगा. हालांकि ऐसा करना बहुत महंगा साबित होगा, लेकिन अगर नासा ऐसा करने में कामयाब हो गया तो चंद्रमा पर इंसानों की बस्ती बसाने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा.
Imagine this: A lunar pipeline, built by robots, transporting extracted oxygen to future Moon bases. Discover how this out-of-this-world concept could help make a human presence on the Moon more sustainable and efficient while also reducing costs: https://t.co/sDlRk2Nna0 pic.twitter.com/ulJZnqrxDB
— NASA Technology (@NASA_Technology) November 14, 2024
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5 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन
नासा ने 5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने की कल्पना की है. L-SPOP के तहत नासा चंद्रमा की रेगोलिथ से पैदा हुई धातुओं का उपयोग करके रोबोट बनाएगा. फिर लगभग 2 किलोग्राम प्रति घंटा की दर से ऑक्सीजन प्रवाहित की जाएगी. इससे चंद्रमा पर रहने के लिए आवश्यक न्यूनतम बिजली की आपूर्ति भी होगी. इसकी मदद से इंसान बिना किसी समस्या के करीब 10 साल तक चंद्रमा पर रह सकेगा.