मुंबई: पति के कहने पर चाय न बानाने और उस पर जानलेवा हमला करने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने बड़ी बात कही है. कोर्ट ने कहा कि पत्नी कोई गुलाम या कोई वस्तु नहीं है. इसलिए चान बनाने से इनकार कर देने पर पत्नी को पीटना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें: होली से पहले रिलीज हुआ Amrapali Dubey का जबरदस्त गाना, खूब मचा रहा धमाल


खबरों के मुताबिक जस्टिस रेवती मोहिते देरे ने कहा कि समाज में आज भी पितृसत्ता की भावना है और अब भी महिलओं को पुरुष की "जायदाद" समझा जाता है. मामले के मुजरिम संतोष अख्तर को इस मामले में एक स्थानीय अदालत 10 साल की सज़ा सुनाई थी. जिसको अब भी बरकरार रखा है. 


यह भी पढ़ें: मशहूर अभिनेत्री पायल सरकार BJP में हुई शामिल, कुणाल खेमू के साथ आ चुकीं हैं नजर


इस मामले में दंपति की 6 साल की बेटी ने बयान दिया है,"अख्तर ने इसके बाद घटनास्थल को साफ किया, अपनी पत्नी को नहलाया और उसे फिर से अस्पताल में भर्ती कराया." बेटी के बयान पर अदालत ने कहा कि 6 वर्षीय बेटी का बयान काबिले यकीन है. 


यह मामला साल 2013 का है. खबरों के मुताबिक संतोष अख्तर की पत्नी उसके लिए चाय बनाए बगैर की बाहर जा रही थी. जिसके बाद महिला के पति अख्तर ने उस पर हथौड़े से हमला कर दिया. हमले में संतोष की पत्नी शदीद तौर पर ज़ख्मी हो गई थी. 


ZEE SALAAM LIVE TV