Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि बीवी की तरफ से जानबूझकर हमबिस्तरी करने से इनकार करना जुल्म है. यह फैसला दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुनाया. जिस मामले में हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था उस जोड़े की शादी बमुश्किल 35 दिनों तक चली. इसके बाद नाकाम हो गई.


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जस्टिस सुरेश कुमार कैत की सदारत वाली बेंच ने तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि "सेक्स के बिना शादी एक जुल्म है" और "हमबिस्तरी में मायूसी से ज्यादा खतरनाक शादी के लिए कुछ भी नहीं है." इस मामले में फैमिली कोर्ट ने तलाक देने की इजाजत दे दी थी, इसके खिलाफ बीवी ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक के फैसले को बरकरार रखा. 


मामले में अदालत ने कहा, बीवी की मुखालतफत की वजह से शादी कामयाब नहीं हो पाई. हालांकि औरत ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उससे दहेज मांगा जा रहा है और इसके लिए उसे परेशान किया जा रहा है. हालांकि दहेज मांगने का "कोई ठोस सबूत नहीं मिला".


मामले के बारे में अदालत ने कहा कि "इसमें देखा गया है कि लाइफपार्टनर की तरफ से जान-बूझकर हमबिस्तरी करने से इंकार करना जुल्म की तरह है. खासकर जब दोनों लोगों की नई शादी हुई हो और यह अपने आप में तलाक देने के लिए काफी है."


अदालत ने कहा कि "इस मामले में दोनों के बीच शादी न केवल बमुश्किल 35 दिनों तक चली, बल्कि शादी के हक से महरूम होने की वजह से ये पूरी तरह से नाकाम हो गई." अदालत ने ये बातें इसलिए कहीं क्योंकि औरत ने शादी के बाद अपना वक्त माइके में गुजारा.


अदालत ने बताया कि इस जोड़े की शादी 2004 में हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक हुई. इसके बाद बीवी अपने मां-बाप के घर वापस चली गई और फिर वापस नहीं लौटी. बाद में शौहर ने जुल्म और छोड़ दिए जाने की बुनियाद पर तलाक के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने अपने हुक्म में कहा कि फैमिली कोर्ट ने "सही फैसला किया", हालांकि इस मामले में छोड़ दिए जाने की वजह साबित नहीं हो सकी, लेकिन शौहर के लिए बीवी का रवैया जुल्म की तरह है, जो उसे तलाक का हकदार बनाता है.


अदालत ने कई चीजें बताईं जो जहनी तौर से जुल्म किए जाने की कटेगरी में आती हैं. इसमें बिना किसी वजह के लंबे वक्त तक हमबिस्तरी न करना भी शमिल है. अदालत ने कहा कि यह पाया गया कि बीवी ने शौहर को शादी कामयाब होने की इजाजत ही नहीं दी.