नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज यूपी में बुलडोजर को रोकने से संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश की हुकूमत को हिदायत जारी की जाए कि उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना उत्तर प्रदेश में घरों को न तोड़ा जाए और इस तरह की किसी भी कार्रवाई से पहले प्रभावित व्यक्ति को नोटिस दिया जाए. इसके साथ ही आज कोर्ट दिल्ली में जहांगीरपुरी मामले में मस्जिद परिसर में बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ सुनवाई करेगा.


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जमीयत उलेमा-ए-हिंद का कहना है कि नूपुर शर्मा के खिलाफ धरना प्रदर्शन में हुई हिंसा में मुसलमानों की एकतरफा गिरफ्तारी की गई है और कानपुर, प्रयागराज और सहारनपुर में प्रशासन ने मुसलमानों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में सरकार ने कई घरों को बुलडोजर से तोड़ भी दिया है.


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गौरतलब है कि यूपी हुकूमत ने प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद अहमद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके घर को बुलडोजर से गिरा दिया था. आरोप था कि जावेद ने घर बनवाते वक्त घर का नक्शा पास नहीं कराया था. जिसके बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.


काबिले जिक्र है कि यूपी में हिंसा के आरोपियों के खिलाफ जहां एक तरह योगी सरकार सख्त से सख्त कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इन मामलों को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. कई विपक्षी पार्टियों ने हुकूमत की कार्रवाई को कानून का उल्लंघन बताया है. बुलडोजर की कार्रवाई को AIMIM के नेता ने मुसलमानों के खिलाफ दोहरा रवैया बताया है. इसके साथ ही बीजेपी के नेता ऐसे एक्शन को सही ठहरा रहे हैं और हुकूमत की कड़ी कार्रवाई को उपद्रवियों के दुरुस्त करार दे रहे हैं. 


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