मुंबईः कर्ज लेकर देर से या न लौटाने वालों में कौन ज्यादा बदनाम हैं, पुरुष या महिला, इस बात को लेकर एक निजी फर्म ने कुछ आंकड़े पेश किए हैं, जो काफी दिलचस्प है. एक क्रेडिट इंफॉरमेशन कंपनी (सीआईसी) ने दावा किया है कि कर्ज जोखिम के लिहाज से महिला कर्जदार पुरुषों से बेहतर होती हैं. सीआईसी ट्रांसयूनियन सिबिल द्वारा पेश किए गए डेटा के मुताबिक, 57 फीसदी महिला उधारकर्ताओं के क्रेडिट स्कोर उन्हें ’प्राइम’ श्रेणी में लाते हैं, जबकि पुरुषों के लिए यह 51 फीसदी है.
यह ध्यान दिया जा सकता है कि खुदरा कर्ज को आमतौर पर उधारदाताओं द्वारा ज्यादा सुरक्षित दांव माना जाता है, क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा घर जैसी संपत्ति के खिलाफ सुरक्षित होता है. कंपनी ने कहा है कि पर्सनल लोन और उपभोक्ता टिकाऊ ऋण जैसे उपभोग आधारित कर्ज उत्पाद भी महिला उधारकर्ताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं. आजकल देखा जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा महिला उधारकर्ता कामकाजी हो रही हैं और वह वित्तीय रूप से स्वतंत्र हो रही हैं. वे अपने जीवन के लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लोन के अवसरों की तलाश कर रही हैं.


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 28 फीसदी महिलाएं ही ले पाती हैं कर्ज 
सीआईसी द्वारा जारी वार्षिक आंकड़ों के मुताबिक, महिलाएं भी अधिक व्यावसायिक ऋण मांग रही हैं, और सभी व्यापार ऋण पोर्टफोलियो में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 32 फीसदी तक हो गई है. इसने कहा कि महिला उधारकर्ताओं की कुल हिस्सेदारी वर्तमान में 28 फीसदी है, और जो क्रेडिट के लिए नई हैं, वे 34 प्रतिशत हैं.
कंपनी ने कहा कि लगभग 454 मिलियन वयस्क महिलाएं हैं, जिनमें से सिर्फ 63 मिलियन ही 2022 तक सक्रिय कर्जदार हैं. न्यू-टू-क्रेडिट (एनटीसी) कर्जदारों पर किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि महिला कर्जदाताओं के उच्चतम अनुपात ने 2022 में अपनी पहली क्रेडिट सुविधा के रूप में कृषि ऋण और उपभोक्ता टिकाऊ ऋण का लाभ उठाया था. 


सबसे ज्यादा तमिलनाडु की महिलाएं लेती हैं कर्ज  
महिला कर्जदारों द्वारा लोन के लिए किए गए आवेदनों की संख्या 2022 में 80.6 मिलियन थी, जबकि उसी वर्ष महिलाओं को 72.7 मिलियन कर्ज वितरित किए गए थे. वितरित किए गए लोन में से एक चौथाई से ज्यादा उपभोग ऋण थे, और महिलाओं पर कुल बकाया राशि 16 लाख करोड़ रुपये थी, जो कुल अग्रिमों का 19 प्रतिशत या लगभग पांचवां हिस्सा था. तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 91.7 लाख महिला कर्जदार हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है.


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